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    Amarnath Yatra : जम्मू-कश्मीर में उम्मीदों की नई राह, अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 07:07 PM (IST)

    अमरनाथ यात्रा जम्मू-कश्मीर के पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा है। पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है। 38 दिनों की इस यात्रा से प्रदेश के लोगों को लगभग दो सौ करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ होने का अनुमान है। यह यात्रा बालटाल और पहलगाम जैसे क्षेत्रों में स्थानीय व्यवसायों को भी बढ़ावा देती है।

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    पंजीकरण से पहले यात्री वैष्णो देवी और स्थानीय पर्यटन स्थलों का दौरा कर रहे हैं, जिससे उत्साह का माहौल है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। अदम्य साहस, जोश, आस्था, उत्साह की प्रतीक वार्षिक बाबा अमरनाथ से जम्मू-कश्मीर की उम्मीदों के साथ अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।पहलगाम आतंकी हमले के बाद पटरी से उतरे कश्मीर के पर्यटन के लिए यह यात्रा वरदान बन रही है। यही नहीं जम्मू सहित अन्य शहरों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार भी साबित हो रही है।

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    इस बार भी 38 दिन की यात्रा में करीब दो सौ करोड़ रुपये का फायदा प्रदेश के लोगों की आर्थिक स्थिति को बदलने में होगा। पर्यटन सीजन को पटरी पर लाने में मदद मिल रही है। हर वर्ग के लोग जिसमें होटल, ट्रांसपोर्ट, दुकानदार, व्यापारी, पर्यटन स्थलों से लेकर खाने पाने की वस्तुएं बेचने वाले इसमें शामिल हैं।

    यात्रा से जुड़े कश्मीर के दुकानदारों के अलावा बालटाल, पहलगाम में भी कई सेवादाताओं को दुकानें अलाट की गई हैं। भगवती नगर जम्मू भी श्रद्धालुओं से गुलजार है। हर तरह चहल पहल है। दुकानों पर रश है। गर्म कपड़े, बरसाती, छाते, बैग समेत यात्रा के दौरान काम आने वाली वस्तुओं की जमकर खरीदी की जा रही है।

    इस वर्ष तीन जुलाई से आरंभ हुई यह यात्रा 9 अगस्त रक्षा बंधन के दिन संपन्न होगी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पर्यटकों की संख्या में आई कमी के बाद जब कश्मीर में पर्यटकों की राह देखी जा रही थी तो ऐसे समय बाबा अमरनाथ यात्रा का शुरु होने का समय आने पर जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को तेजी देने में मदद मिल रही है।

    यात्रा सिर्फ जम्मू शहर या कश्मीर के बालटाल या पहलगाम तक ही सीमित नहीं है बल्कि जम्मू कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से कठुआ, फिर सांबा जिला, जम्मू, उधमपुर, रामबन से होते हुए श्रीनगर, अनंतनाग, गांदरबल जिला से होकर गुजरती है। इससे स्थानीय बिजनेस को बल मिलता है।

    जम्मू में पंजीकरण की तिथि से पहले आ गए यात्रियों का रुख श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा, शहरों में घूमना, छोटे पर्यटन स्थलों की तरफ आकर्षित हो रहा है। भले ही यात्री निवास भगवती नगर जम्मू व अन्य स्थानों पर लंगर लगाए गए है लेकिन फिर भी यात्री अपने समय के अनुसार शहर में मंदिरों को दर्शन कर लेते है। छोटी मोटी खरीदारी कर रहे हैं। कइयों के लिए यात्रा के बाद कश्मीर घूमने का मौका भी है।

    पहलगाम आतंकी हमले के बाद आपरेशन सिंदूर हुआ है जिसमें भारत ने पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया। हालांकि सरकार की तरफ से पर्यटकों को बुलाने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास शुरु किए गए।

    उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासन ने पर्यटकों से कश्मीर आने के लिए कहा। भले ही श्रद्धालुओं के लिए प्राथमिकता सबसे पहले बाबा बर्फानी के दर्शन ही होते है लेकिन कई श्रद्धालु दर्शनों के बाद कश्मीर घूमना नहीं भूलते। जिन का पंजीकरण नहीं हुआ, जिनका पंजीकरण का समय दूर है तो वे मंदिरों के दर्शन के अलावा पर्यटक स्थलों पर जा रहे हैं।

    रोजाना ही ऐसे श्रद्धालु यात्री निवास भगवती नगर, करंट पंजीकरण वाली जगह वैष्णवी धाम व अन्य जगहों पर पहुंच रहे हैं। यात्री निवास के बाहर यूपी के कानपुर से आए विनय कुमार ने कहा कि वह पहली बार यात्रा पर आए हैं।

    पहलगाम आतंकी हमले के बारे में तो पूरे देश में खबर थी लेकिन हमने सोच कर रखा था कि इस बार हर हाल में बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए जाना था तो आ गए। कोई डर नहीं है, सिर्फ उत्साह है। हम दो दिन से आए थे, आज जा रहे है, हमने जम्मू शहर को घूमा, जम्मू में मंदिरों के दर्शनों किए हैं। अंकित सिंह ने कहा कि वह दूसरी बार यात्रा पर आए हैं। यात्रा के बाद हम कश्मीर घूमेंगे। कोई डरने की बात नहीं है।

             वर्ष     यात्रा

    • 2011   6.34 लाख
    • 2012   6.22 लाख
    • 2013   3.53 लाख
    • 2014   3.73 लाख
    • 2015   3.52 लाख
    • 2016   2.20 लाख
    • 2017   2.60 लाख
    • 2018   2.85 लाख
    • 2019   3.42 लाख
    • 2020   कोरोनाकाल
    • 2021   कोरोनाकाल
    • 2022   3.04 लाख
    • 2023   4.50 लाख
    • 2024   5.12 लाख