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    Jammu Kashmir: कहां गया 13 जुलाई का अवकाश; जानिए, बुखारी ने क्यों किया सीएम उमर अब्दुल्ला से यह सवाल

    Updated: Mon, 07 Jul 2025 07:21 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से 13 जुलाई को राजपत्रित अवकाश घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 से पहले की तरह 13 जुलाई को सरकारी स्तर पर समारोह आयोजित किए जाएं। उन्होंने नेशनल कान्फ्रेंस पर चुनावी वादे पूरे न करने का आरोप लगाया जिसमें मुफ्त बिजली और नौकरियां शामिल हैं।

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    अल्ताफ बुखारी ने राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए भी कोई प्रयास न करने की बात कही।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में नौ महीने का कार्यकाल पूरा करने वाली उमर सरकार पर तंज करते हुए जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि इतना समय बीत जाने के बाद भी वे कश्मीर की जनता की मांगों को पूरा नहीं कर पाए हैं। बुखारी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से 1931 के महाराजा के खिलाफ विद्रोह में अपनी जान देने वालों की याद में 13 जुलाई को राजपत्रित अवकाश घोषित करने की मांग की है।

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    उन्होंने कहा कि जिस तरह पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर में सरकारी स्तर पर 13 जुलाई को समारोह आयोजित किया जाता था, उसी तरह से समारोहों का आयोजन दोबारा बहाल किया जाए। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को बताना चाहिए कि वह यह अवकाश कब घोषित करेंगे।

    आज दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में कार्यकर्ताओं के सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत में सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि कहा कि 1931 के बलिदानियों को राज्य स्तरीय स्मृति समारोहों के माध्यम से आधिकारिक रूप से मान्यता दी जानी चाहिए।

    उन्होंने मौजूदा प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा नेशनल कान्फ्रेंस को सत्ता संभाले नौ माह बीत रहे हैं, लेकिन वह अपने चुनावी वादों का एक प्रतिशत भी पूरा नहीं कर पायी है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनकी पार्टी नेशनल कान्फ्रेंस सिफ जनता को गुमराह कर रही है।

    अपनी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा कि नेशनल कान्फ्रेंस ने चुनाव के समय हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। सरकार संभालते ही नेशनल कान्फ्रेंस ने अपने वादे में संशोधन करते हुए कहा कि इसका लाभ अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) श्रेणी तक ही सीमित रहेगा जो जम्मू कश्मीर की कुल था, जो आबादी के एक प्रतिशत से भी कम आबादी को कवर करती है। इसके बावजूद इसे लागू नहीं किया जा रहा है।

    राशन कोटा बढ़ाने, तीन महीने के भीतर एक लाख नौकरियां पैदा करने और अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने की प्रतिबद्धता जताई थी - जिनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए भी कोई स्पष्ट प्रयास नहीं किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला ने दावा किया था कि वह सत्ता में लौटते ही 13 जुलाई जिससेे आम कश्मीरियों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, का अवकाश और सरकाीर समारोह बहाल कराएंगे, लेकिन आज तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है।