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    Jammu Kashmir : 38 साल बाद साकार होने लगा सावलाकोट जल विद्युत परियोजना का सपना, 1856 मेगावाट की परियोजना के लिए 973 करोड़ जारी

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 19 Jul 2022 08:32 AM (IST)

    Sawlakot Hydroelectric Project इसकी परिकल्पना 1984 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला के शासनकाल में हुई थी योजना पर पाकिस्तान की आपत्ति के कारण कार्य आरंभ नहीं हो पाया। 2002 में इस क्षेत्र में आवागमन सुगम बनाने के लिए एक एप्रोच रोड मंजूर हुई।

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    सावलाकोट जलविद्यु़त परियोजना के लिए निवेश पूर्व की गतिविधियों के लिए 973 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।(File Photo)

    श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : नया जम्मू कश्मीर तीव्र गति से विकास की नित नई इबारत लिख रहा है। दशकों से अटकी परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा रहा है। इसी कड़ी में 38 साल में फाइलों में यहां-वहां घूम रही सावलाकोट जलविद्युत परियोजना का सपना साकार होने जा रहा है।

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    1856 मेगावाट की इस जलविद्युत परियोजना से 2025 में बिजली उत्पादन आरंभ हो जाएगा। केंद्र सरकार ने इसके पहले चरण का कार्य आरंभ करवाने से पहले 973 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। कभी पाकिस्तान की आपत्ति और कभी पर्यावरण की चिंता के नाम पर इस परियोजना को दशकों तक लटकाए रखा गया।

    अब केंद्र सरकार ने तमाम आपत्तियों को दूर कर तेजी से निर्माण आरंभ करवाने की तैयारी कर ली है। यह परियोजना चिनाब नदी पर जम्मू संभाग के रामबन और ऊधमपुर जिलों के बीच बनाई जानी है और यहां जल धारा के प्राकृतिक बहाव से ही बिजली पैदा की जाएगी।

    तब 1200 मेगावाट की थी परियोजना : इसकी परिकल्पना 1984 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला के शासनकाल में हुई थी, योजना पर पाकिस्तान की आपत्ति के कारण कार्य आरंभ नहीं हो पाया। 2002 में इस क्षेत्र में आवागमन सुगम बनाने के लिए एक एप्रोच रोड मंजूर हुई। वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 1200 मेगावाट की परियोजना पर मुहर लगाई को मंजूरी दी और इसका ठेका तीन कंपनियों के समूह को दिया गया। इनमें दो विदेशी कंपनियां नार्वे की एसपीएस और तुर्की की ओजाल्टिन के अलावा हिंदुस्तानकंस्ट्रकशन कंपनी शामिल थी। तब जम्मू कश्मीर ऊर्जा विकास निगम को इसकी जिम्मेवारी सौंपी गई थी और लागत 700 करोड़ रुपये आंकी गई। कुछ समय तक परियोजना पर काम भी चला और एप्रोच रोड, सुरंग, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों पर काम हुआ, लेकिन बाद में यह सब ठप हो गया। पर्यावरण मंजूरी और अन्य कारणों से काम लटका रहा।

    अब एनएचपीसी के हाथ में परियोजना : करीब पांच वर्ष पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की नदी एवं जल विद्युत परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने इसे हरी झंडी प्रदान कर दी और इसे 1200 मेगावाट से बढ़ाकर 1856 मेगावाट कर दिया गया। इसके बाद जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन और राष्ट्रीय जलविद्युत परियोजना निगम (एनएचपीसी) के बीच जनवरी 2021 में समझौता हुआ। इसके मुताबिक वह इस पर करीब 35000 करोड़ का कुल निवेश प्राप्त करेगी। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सावलाकोट जलविद्यु़त परियोजना के लिए नवंबर 2021 की मूल्य दर के आधार पर निवेश पूर्व की गतिविधियों के लिए 973 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

    पाकिस्तान बताता रहा नदी जल समझौते का उल्लंघन : परियोजना में रुकावट पाकिस्तान की तरफ से पैदा की गई। उसने इसे सिंधु जल नदी समझौते का उल्लंघन बताया। उसने कहा कि इस समझौते के मुताबिक झेलम, चिनाब, सिंधु समेत जम्मू कश्मीर में बहने वाली किसी भी नदी का बहाव नहीं रोका जा सकता और उनके पानी का सीमित इस्तेमाल कर सकता है।

    ऐसी होगी परियोजना

    • -1099 हेक्टेयर जमीन पर यह परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी।
    • - 225 मेगावाट की छह और 56 मेगावाट की एक इकाई पहले चरण में बनेगी
    • -225 मेगावाट की दो यूनिट दूसरे चरण में शुरू की जाएंगी
    • -193 मीटर लंबा कंक्रीट का एक बांध बनाया जाएगा
    • -1080 मीटर लंबी दो सुरंगें, 690 मीटर लंबी एक सुरंग, 570 मीटर लंबी तीन सुरंगें बनाई जाएंगी
    • - 2300 मीटर लंबे स्पिलवे और एक्ससे रोड सुरंग के साथ एक सब स्टेशन का निर्माण भी होगा।
    • -ट्रांसमिशन लाइनों को बिछाने और टरबाइन, जेनरेटर व ट्रांसफार्मर भी स्थापित किए जाएंगे।

    जम्मू कश्मीर में जलविद्युत परियोजनाएं

    • -चिनाब दरिया पर बगलिहार, सलाल, रतले, किरथेई और दुलहस्ती जल विद्युत परियोजनाओं पर काम चल रहा है।
    • - बारामुला जिले के उड़ी सेक्टर में झेलम दरिया पर उड़ी जल विद्युत परियोजना प्रथम और उड़ी जलविद्युत परियोजना द्वितीय।
    • - बांडीपोरा जिले के गुरेज सेक्टर में किशनगंगा दरिया पर किशनगंगा जल विद्युत परियोजना।