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    Jammu Kashmir : जानिए नए Chief Justice ने क्‍यों कहा, सरकारी अफसरों को कुंभकर्णी नींद से जगाना होगा

    By VikasEdited By:
    Updated: Thu, 10 Dec 2020 07:10 AM (IST)

    कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने प्रशासनिक उच्च स्तर पर जवाबदेही तय करने के निर्देश देते हुए कहा कि जब तक आला अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा तब तक इस प्रदेश में हालात नहीं सुधरेंगे।कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने उक्त नाराजगी प्रकट की।

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    जम्मू-कश्मीर के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल

    जम्मू, जागरण न्‍यूज नेटवर्क : जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट (Jammu Kashmir High Court) के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने बुधवार को प्रभार संभालने के पहले ही दिन सरकारी विभागों के खिलाफ आए दिन कोर्ट में केस दायर होने और इनके निपटारे के लिए विभागों की ओर से कोई गंभीर प्रयास नहीं किए जाने पर कड़ा एतराज जताया।

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    उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लगभग हर विभाग का यही हाल है। वर्षों तक कोर्ट में पक्ष नहीं रखा जाता। यहां तक कि अवमानना के मामलों में सरकारी विभाग अनुपालन रिपोर्ट पेश करना भी जरूरी नहीं समझते। वर्षों तक अदालतों में केस लटके रहते हैं, जिससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचता है, बल्कि आम जनता भी कई मामलों में विकास से वंचित रहती है।

    उन्होंने सरकारी अधिकारियों की तुलना कुंभकरण से करते हुए कहा कि इनको नींद से जगाने के यत्न किए जाने चाहिए। कार्यवाहक चीफ जस्टिस बिंदल ने प्रशासनिक उच्च स्तर पर जवाबदेही तय करने के निर्देश देते हुए कहा कि जब तक आला अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, तब तक इस प्रदेश में हालात नहीं सुधरेंगे।

    कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने नेशनल इंडिया कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए उक्त नाराजगी प्रकट की। दो साल पूर्व ऊधमपुर जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण का टेंडर निकला था और इस कंपनी का टेंडर स्वीकार नहीं हुआ था। कंपनी ने कोर्ट से अंतरिम स्टे आर्डर हासिल किया और उसके बाद से अब तक सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाया।

    कोर्ट ने पाया कि इस मामले में सरकार ने दो साल तक स्टे आर्डर हटाने व कोर्ट से राहत पाने का प्रयास तक नहीं किया। इससे अब निर्माण कार्य की लागत भी बढ़ी और क्षेत्र के लोग भी सड़क से वंचित रहे। इसके लिए दोषी कौन? उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक मामला नहीं है, कोर्ट में ऐसे सैकड़ों मामले होंगे, जिनमें सरकारी विभागों के उदासीन रवैये के कारण केसों का निपटारा नहीं हो पाता।

    जम्मू-कश्मीर के सरकारी विभागों की तुलना कुंभकरण से करते हुए जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा कि जब रावण का शासन खतरे में था तो उसने कुंभकरण को नींद से उठाने के लिए कई यत्न किए। जम्मू-कश्मीर में भी सरकारी विभागों के अधिकारियों को नींद से जगाने के लिए कुछ ऐसे ही यत्न करने की जरूरत है। इसलिए जरूरी है कि उच्च स्तर पर जवाबदेही तय की जाए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी को भी इस आदेश की कापी भेजने का निर्देश दिया, ताकि ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई हो सके।

    यूं लगाई फटकार

    'जब तक आला अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, तब तक इस प्रदेश में हालात नहीं सुधरेंगे। वर्षों तक अदालतों में केस लटके रहते हैं, जिससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचता है, बल्कि आम जनता भी कई मामलों में विकास से वंचित रहती है। -राजेश बिंदल, कार्यवाहक चीफ जस्टिस