जम्मू-कश्मीर पुलिस को 29 सालों से जिस आरोपी मंजूर की थी तलाश, कुलगाम जेल में था बंद
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 29 साल से फरार एक आरोपी मंजूर अहमद को कुलगाम जेल से गिरफ्तार किया। उस पर 1996 में अपहरण और दुष्कर्म का मामला दर्ज था। एक अन्य मामले में, जम्मू पुलिस ने सार्वजनिक दुर्व्यवहार के आरोप में दो लोगों को जुर्माना और सामुदायिक सेवा की सजा सुनाई, जिसका उद्देश्य सुधारात्मक न्याय प्रणाली को बढ़ावा देना है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस की कार्रवाई ने एक बार फिर से उनकी व्यावसायिकता और समर्पण को प्रदर्शित किया है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर पुलिस जिस आरोपी को पिछले 29 सालों से ढूंढ रही थी। वह कुलगाम जेल में मिला। आरोपी की पहचान मंजूर अहमद के रूप में हुई है, जो इस समय कुलगाम जेल में किसी अपराध में सजा काट रहा है।
मंजूर अहमद पर वर्ष 1996 में झज्जर कोटली पुलिस स्टेशन में अपहरण और दुष्कर्म का मामला दर्ज था। लंबे समय से फरार होने के कारण, उसके खिलाफ धारा 512 सीआरपीसी के तहत कोर्ट से वारंट जारी किया गया था।
पुलिस की कार्रवाई
जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम ने कुलगाम जिले के काइमोह पुलिस स्टेशन के साथ समन्वय करके मंजूर अहमद की पहचान की पुष्टि की। पता चला कि वह पहले से ही कुलगाम जेल में बंद था। पुलिस ने उसका लॉजमेंट सर्टिफिकेट सहित वारंट जम्मू स्थित संबंधित अदालत में प्रस्तुत किया है, जहां आगे की कानूनी कार्रवाई चल रही है।
पुलिस ने लगभग तीन दशकों से मंजूर अहमद की तलाश की थी। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कई प्रयास किए और आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई।
जम्मू में सार्वजनिक दुर्व्यवहार के मामले में आरोपियों को सजा
जम्मू के सतवारी पुलिस ने सार्वजनिक दुर्व्यवहार करने के मामले में दो आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां उन्हें जुर्माना और सामुदायिक सेवा की सजा सुनाई गई। आरोपियों की पहचान राज कुमार और राकेश कुमार के रूप में हुई है, जो दोनों चठा मिल, जम्मू के निवासी हैं।
क्या था मामला?
मामले के अनुसार, राज कुमार और राकेश कुमार ने शराब के नशे में सार्वजनिक स्थान पर दुर्व्यवहार किया था, जिसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों आरोपियों को दोषी पाया।
अदालत ने राज कुमार पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया, जबकि राकेश कुमार को शिव मंदिर, नरवाल पांई, सतवारी में दो दिन तक सामुदायिक सेवा करने के निर्देश दिए। यह सजा भारतीय न्याय संहिता की धारा 355 के तहत दी गई है, जो सार्वजनिक नशा और अनुचित आचरण के मामलों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान करती है।
जम्मू पुलिस की पहल
जम्मू पुलिस द्वारा सुधारात्मक एवं पुनर्वासात्मक न्याय प्रणाली को प्रोत्साहित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। नई आपराधिक न्याय व्यवस्था के तहत ऐसे कदमों का उद्देश्य छोटे अपराधों में दंडात्मक कार्रवाई की बजाय सामाजिक सुधार और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना है।
सामुदायिक सेवा की सजा का उद्देश्य दोषियों को समाज के लिए उपयोगी बनाना है। इससे उन्हें अपने अपराध के लिए माफी मांगने और समाज में अपनी जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिलता है। जम्मू पुलिस द्वारा इस तरह की पहल से अपराध दर में कमी आने की उम्मीद है।
जम्मू पुलिस की इस पहल से स्पष्ट है कि वे अपराधियों को सुधारने और समाज में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सामुदायिक सेवा की सजा से दोषियों को अपने अपराध के लिए माफी मांगने और समाज में अपनी जिम्मेदारी निभाने का अवसर मिलेगा।
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