पुत्र वियोग में राजा दशरथ ने प्राण त्याग दिए
संवाद सहयोगी, आरएसपुरा : सीमांत गांव रंगपुर मौलानियां में श्री राम कथा के चौथे दिन संगतों को निहाल क
संवाद सहयोगी, आरएसपुरा : सीमांत गांव रंगपुर मौलानियां में श्री राम कथा के चौथे दिन संगतों को निहाल करते हुए तपोमूर्ति स्वामी दिनेश भारती ने भगवान राम के वनवास के बारे में भक्तों को बताया। उन्होंने कहा कि राजा दशरथ पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग दिए।
उन्होंने कहा कि जब सीता और लक्ष्मण को इसकी सूचना मिलती है तो वे भी राम के साथ जाने का आग्रह करते हैं। श्री राम ने उनके साथ वन जाने से मना किया तो सीता ने कहा कि जिस वन में आप जाएंगे वही मेरा अयोध्या है और आपके बिना अयोध्या मेरे लिए नर्क समान है। लक्ष्मण के भी काफी आग्रह करने पर राम ने उन्हें अपने साथ ले लिया।
इस तरह राम, सीता और लक्ष्मण वन के लिए रवाना होने को तैयार हो गए। उधर, राम के वन जाने से दुखी होकर राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए। इस दौरान भरत जो अपने मामा के यहां गए हुए थे। अयोध्या की घटना सुनकर बहुत दुखी हुए। भरत ने अपनी माता को सिंहासन पर बैठने के लिए मना कर दिया और राम को ढूंढते हुए वन में गए। उनके साथ वन जाने का आग्रह किया। उन्होंने राम को वापस लौटने को कहा, लेकिन राम ने अपने पिता के वचन का पालन करते हुए वापस नहीं लौटने का प्रण किया। भरत भगवान राम की चरणपादुका को साथ लेकर वापस लौट गए और जब तक राम वापस नहीं आते तब तक के लिए उन्हें सिंहासन पर रख दिया।
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