रसमंजरी चित्रकलाएं बढ़ा रही संग्रहालय की शान
जागरण संवाददाता, जम्मू : विश्व प्रसिद्ध बसोहली कला की लघु चित्रकलाओं को दर्शाती रसमंजरी श्रृंखला क
जागरण संवाददाता, जम्मू : विश्व प्रसिद्ध बसोहली कला की लघु चित्रकलाओं को दर्शाती रसमंजरी श्रृंखला की चित्रकलाएं सदियां गुजरने के बाद भी चित्रकला के क्षेत्र में वर्चस्व बनाए हुए है। पहाड़ी चित्रशैली में बनी चित्रकलाएं अपने आपमें अभिन्न सुंदरता, बेजोड़ कलाकारी का नमूना हैं जो विरासत से रूबरू होने वाले युवाओं के लिए विशेष आकर्षण का कारण भी है। तीन सौ वर्ष पुरानी रसमंजरी श्रृंखला की यह चित्रकलाएं आज भी पूरी तरह से संरक्षित हैं। यूं तो रसमंजरी श्रृंखला की चित्रकलाएं देश के कई संग्रहालयों में सहेजी गई हैं। जम्मू में डोगरा आर्ट संग्रहालय में सहेजी गई चित्रकलाओं की संख्या सत्तर से अधिक है। बसोहली आर्ट को आगे ले जाने वाले कलाकारों के लिए रसमंजरी श्रृंखला की लघु चित्रकलाएं प्रेरणा का स्रोत हैं। रसमंजरी श्रृंखला की चित्रकला का जादू कलाकारों के बीच आज भी सिर चढ़ कर बोलता है। बहुत से नये कलाकार रसमंजरी चित्रकला को अपनी प्रेरणा का माध्यम मानते हैं। पहाड़ी कला शैली में तैयार की गई चित्रकलाएं लघु पेंटिग्स शैली में आज भी वर्चस्व बनाए हुए हैं। विदित हो कि रसमंजरी लघु चित्रकलाओं में राधा-कृष्ण को नायक व नायिका के रूप में प्रस्तुत किया है। चित्रकला को बसोहली के सुप्रसिद्ध चित्रकार देवीदास ने तैयार किया है। बसोहली के राजा कृपाल सिंह की सरपरस्ती में देवीदास ने 1699 में रसमंजरी की चित्रकलाओं की श्रृंखला तैयार की थी। पहाड़ी शैली में बनी रसमंजरी श्रृंखला की बसोहली पेंटिग्स की सुंदरता को बरकरार रखने में उनके लिए उपयोग में लाए जाने वाले रंगों का कमाल माना जाता है। प्रकृति के रंगों से मेल खाते रंग पत्तों व फूलों से तैयार किए जाते हैं जिन्हें गिलहरी के बालों से बने ब्रश से चित्रित किया जाता है। अमूल्य धरोहर को सहेज कर रखने में डोगरा आर्ट संग्रहालय काफी महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। संग्रहालय को मिलने वाली सुरक्षा की कमी से यह चित्रकलाएं हर समय कलाप्रेमियों के लिए संग्रहालय में प्रदर्शित नहीं की जा सकती। विरासत प्रदर्शनी में कला को चाहने वाले अमूल्य विरासत को देखने का लाभ ले सकते हैं।

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