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    तारीफ तो बनती है

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Mon, 08 Jun 2015 12:41 PM (IST)

    तारीफ तो सभी को चाहिए। अपने कार्य और प्रयास के लिए प्रोत्साहन की दरकार हरएक को होती है। तारीफ मिलती है तो व्यक्ति दोगुनी मेहनत से काम करता है। तारीफ कार्य के प्रति सम्मान व्यक्त करना भी है...

    कुछ लोग शब्दों या व्यवहार के मामले में इतने मितव्ययी होते हैं कि दूसरे के अच्छे कार्यों की तारीफ खुलकर नहीं कर पाते, जबकि कुछ इतनी तारीफ करते हैं कि सामने वाला शर्मिंदा हो जाए। कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें किसी बात से फर्क नहीं पड़ता। वे कभी किसी की तारीफ नहीं करते। कई बार बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि बच्चों की ज्यादा तारीफ नहीं करनी चाहिए, इससे वे बिगड़ सकते हैं। दूसरी ओर मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि तारीफ बच्चे का मनोबल बढ़ाती है।

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    क्यों जरूरी है प्रशंसा

    प्रोत्साहन की जरूरत बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी होती है। घर से लेकर स्कूल-कॉलेज, सार्वजनिक स्थलों और कार्यस्थल तक इसकी आवश्यकता पड़ती है। शिक्षक की जरा सी तारीफ से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ सकता है तो पैरेंट्स का प्रोत्साहन उसे बेहतर भविष्य की ओर बढऩे को प्रेरित करता है। सराहना के चंद लफ्ज रिश्तों को खुशगवार बना सकते हैं। मां, तुम्हारे हाथों में तो कमाल है! बच्चे की छोटी सी तारीफ मां की डिक्शनरी का सबसे खूबसूरत वाक्य बन सकती है। इसी तरह कार्यस्थल में अच्छे कार्य की तारीफ कर्मचारी को बेहतर काम करने को प्रेरित करती है।

    लोग बाहर खाना खाते हैं तो बैरे को टिप देते हैं। टिप उसकी सेवाओं की तारीफ ही है। घर में खाने के बदले टिप नहीं दिया जाता, मगर सराहना में बोले गए शब्द खाना बनाने वाले को अहसास दिलाते हैं कि उसकी मेहनत को सम्मान मिल रहा है। सफाई कर्मचारी, घरेलू हेल्पर, कुक, गार्ड, ड्राइवर... ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनकी सेवाओं के बिना जिंदगी सहज नहीं हो सकती।

    इतनी कंजूसी अच्छी नहीं

    तारीफ सबको अच्छी लगती है। यह तनाव से मुक्ति भी दिलाती है। व्यक्ति को जीवन में आगे बढऩे के लिए सकारात्मक प्रोत्साहन की जरूरत पड़ती है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि तारीफ से किसी का जीवन बदल सकता है और तारीफ करने वाला भी सुखद अहसास से भर उठता है। ईमानदार प्रशंसा दूसरे की योग्यता व क्षमता में इजाफा करती है... तो फिर तारीफ में कंजूसी क्यों बरती जाए।

    तारीफ करें कुछ ऐसे

    शोध बताते हैं कि व्यक्ति की नहीं, उसके प्रयासों, मेहनत एवं काम की तारीफ की जानी चाहिए। जैसे, तुमने इस प्रोजेक्ट में बहुत मेहनत की है, तुम्हारी मेहनत रंग लाई है जैसे वाक्यों में यह संदेश छिपा है कि सफलता मेहनत व प्रयास से ही मिलती है। इसे वैज्ञानिक भाषा में प्रक्रिया की प्रशंसा (प्रोसेस प्रेज) कहा जा सकता है। दूसरी ओर तुम बहुत स्मार्ट हो, तुम इस काम को बेहतर कर सकते हो जैसे वाक्यों का अर्थ है कि सफलता एक निश्चित गुण के कारण मिलती है। इसे व्यक्ति की प्रशंसा (पर्सन प्रेज) कहा जा सकता है।

    शिकागो यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पांच वर्ष तक बच्चों की इन दो तरीकों से की गई तारीफ के कई दिलचस्प नतीजे निकले। ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता या टीचर्स ने उनके काम या प्रयास की तारीफ की, दूसरे बच्चों के मुकाबले चुनौतीपूर्ण काम हाथ में लेना पसंद करते थे, विफलता से जल्दी उबरते थे, क्योंकि इससे उन्हें सीखने को मिलता था। वे मेहनत से उपजी योग्यता पर भरोसा करते थे।

    प्रशंसा व्यक्ति के कार्य का सम्मान और पुरस्कार है। तारीफ करें, क्योंकि सराहना के थोड़े से शब्द किसी को आत्मिक खुशी प्रदान कर सकते हैं तो किसी की जिंदगी भी बदल सकते हैं।

    इंदिरा