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    मां ही मां को पहचाने

    जब अपनी गृहस्थी बसाती है बेटी तो उसकी सोच में भी मां ही प्रखर होने लगती हैं। जो गुण विरासत में मिले हैं उसे, अपनी पौध में भी उन्हें सींचना चाहती है वो। मां के अक्स को खुद में देखती बेटी और बेटी के अंश में बेटी का बचपन ढूंढ़ती नानी की मानें तो तय हो जाता है कि मां ही मां को पहचाने..

    By Edited By: Updated: Sat, 01 Jun 2013 11:17 AM (IST)
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    देखो-देखो कैसे हँस रही है, तुम जब छोटी थी तो बिल्कुल ऐसे ही हँसती थी। पता नहीं बड़ी होकर कैसी बनेगी, लेकिन अभी तो तुम्हारी ही डुप्लीकेट लग रही है। मुझे तो वह दिन याद आ रहा है जब तुमने मेरी गोद में अपनी आंखें खोली थीं। कुछ इसी तरह से दिख रही थी तुम। अपने ही अक्स को पाया था मैंने तुममें। अनवरत बोले जा रही थीं कपिला जी। अपनी बेटी मानवी के प्रतिरूप को ढूंढ़ रही थीं अपनी नवजात नवासी में। बेटी के आगोश में नन्हीं की यह तस्वीर उन्हें यादों में लौटने को मजबूर कर रही थी, जब उन्हें भी इसी तरह के कॉम्पलिमेंट्स मिल रहे थे और वे अपनी मासूम बच्ची में अपनी छाया देखकर निहाल होती जा रही थीं। जहां कपिला जी के चेहरे पर मानवी को मां बनते देखने का संतोष और नवासी के प्रति निश्चल ममता का भाव छलक रहा था। वहीं मानवी का मुख मातृत्व के तेज से चमक रहा था। यहां मां शब्द सिर्फ एक रिश्ता नहीं, बल्कि अहसास बनकर उभर रहा था, क्योंकि मां ही मां को जान रही थी, पहचान रही थी।

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    होता है डिवाइन एक्सपीरियंस

    जब मां, बेटी और नवासी एक दूसरे का प्रतिरूप दिखतीं, भूत-भविष्य-वर्तमान नजर आतीं, साथ-साथ चलती हैं तो कुदरत को भी अपनी कृतियों पर गर्व महसूस होता है। केरल के मोहिनीअट्टम की जानी-पहचानी डांसर भारती शिवाजी अपने अनुभव को बांटते हुए कहती हैं, 'जब हमारी तीन जनरेशंस ने एक साथ स्टेज परफॉर्मेस दी तो मेरी आंखें गीली हो गई। मेरी नवासी नयनतारा का ख्वाब था कि वो अपनी नानी यानी मेरे और अपनी मां विजयलक्ष्मी के साथ मोहिनीअट्टम के मूवमेंट्स स्टेज पर पेश करे। हाल ही में साउथ अफ्रीका में उसकी यह मुराद पूरी हो गई। डिवाइन एक्सपीरियंस था हमारा। मिरर रिफ्लेक्शंस थीं हम तीनों।' नानी और नवासी के जुड़ाव को कुछ इस तरह से बयां करती हैं वे, 'आप आश्चर्य करेंगे कि नयनतारा जितनी अपनी नानी यानी मुझसे अटैच है उतनी ही मेरी बेटी विजयलक्ष्मी अपनी नानी यानी मेरी मां के. शंकरी से जुड़ी हैं। दरअसल, मोहिनीअट्टम से संबंधित रिसर्च के सिलसिले में मुझे काफी ट्रैवेल करना होता था। इसलिए मेरी बेटी अपनी नानी के पास ही पली। वो उनसे बहुत प्रभावित है। आज भी मैं जब उससे कहती हूं कि बेटे अपने बाल खुले छोड़ दो तो वो कहती है, मां पाटी कहती है कि शाम को बाल खुले नहीं छोड़ते। दोनों अपनी नानी की बात को, उनकी वैल्यूज को गंभीरता से लेती हैं।'

    मेरी छवि हो तुम

    पटना की निर्मला सिन्हा बीएसएनएल से सेवानिवृल हैं। जब उनकी बड़ी बेटी नीतू मां बनने वाली थी तो वे नानी बनने को बेताब थीं। उन क्षणों को बांटते हुए वह कहती हैं, 'नवासी का जन्म हो गया था, लेकिन नर्स उसे लेकर बाहर नहीं आई थी। मैं बेबी रूम के अंदर चली गई। सभी शिशु एक से लग रहे थे, पर एक चेहरा बिल्कुल जाना-पहचाना लगा। इतने बच्चों में मैं पहचान गई थी उसे। थोड़ी देर बाद जब नर्स उसी बच्ची को लेकर आई तो नन्हीं गुड़िया को मैंने गले लगा लिया।' निर्मला जी की बेटी नीतू कहती हैं, 'गर्भावस्था के दौरान मां से ही शक्ति पाई। उनकी बातों ने मुझे प्रसव पीड़ा सहने की ताकत दी।' आज नीतू की बेटी गौरी मेडिकल की तैयारी कर रही है और गर्व से कहती हैं, 'मां-नानी बिल्कुल एक जैसी हैं और मुझमें उन दोनों की छवि है। इनकी प्रेरणादायी बातों ने ही मेरा मार्गदर्शन किया। मैं खुद को देखकर यही सोचती हूं कि क्या बड़ी होकर मैं भी इन दोनों जैसी ही दिखूंगी?'

    नानी के करीब नवासी

    'नानी जब मा के बचपन की बातें, उनकी आदतें और हमारी समानताएं व असमानताएं बताती हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।' कहती हैं नानी सावित्री और मां वीना गुप्ता की सोलह साल की बेटी सना। मां वीना आत्मरक्षा के गुर सिखाकर महिलाओं में आत्मविश्वास भर देती हैं, उनमें हिम्मत पैदा करती हैं, लेकिन समाजसेवा के जज्बे के लिए मा को प्रेरणा मानती हैं। सामाजिक दायित्वों के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह करने वाली वीना कहती हैं, 'कॅरियर की शुरुआत में तीन महीने की बेटी के साथ मुझे काफी मुश्किलें आईं, ऐसे में मा ने मेरी कठिनाइयों को पहचाना और बेटी की देखभाल का जिम्मा खुद पर ले लिया। अब तो स्थिति यह है कि मेरी बेटी सना अपनी नानी के बेहद करीब है।'

    सेल्फ डिफेंस एक्सपर्ट वीना गुप्ता का कहना है, 'मां बनने के बाद मैंने अपनी मां को पूरी तरह से पहचाना। अब मैं अपनी मा की उन सभी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करती हूं जो हमारी परवरिश के दौरान सीमित संसाधनों के चलते मां पूरा नहीं कर पाई थीं।' वीना एक वाक्या बताती हैं कि वह अपनी मा को गोवा ले गई। वहा पर वाटर बाइक चलाने में वीना डर रही थीं, लेकिन थोड़ी देर बाद देखा तो उनकी मा बाइक राइड पूरी तरह एंजॉय कर रही थीं। वीना को यह देखकर काफी खुशी व संतुष्टि हुई कि वह अपनी मा के शौक पूरे कर रही हैं।

    रिश्ता नहीं अहसास है मां

    'नवासी के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताकर ऐसा लगता है मानों मैं खुद जवान हो गयी हूं और मेरी बेटी फिर से बच्ची हो गयी।' बेटी और नवासी के साथ कुछ इस तरह का जुड़ाव व्यक्त करती हैं लखनऊ की शीला त्रिपाठी। उनकी बेटी पूनम त्रिपाठी ने भी मां बनकर ही अपनी मां को बेहतर पहचाना है, वह कहती हैं, 'रिश्ता नहीं एक अहसास है मां। सच में जब खुद की बेटी हुई तो पता चला कि एक मा ही मा की भावनाओं को समझ सकती है। हम चार भाई-बहन हैं और मैं परिवार में सबसे बड़ी हूं, इसलिए मम्मी के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताया। आज भी मैं उनके साथ वक्त बिताने का चार साल पहले जब मेरी बेटी हुई तो पता चला मैंने कई बार उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया, मगर वो गुस्सा नहीं हुईं। बेटी होने के बाद ही ये अहसास हुआ कि उन्होंने कितनी मुश्किल से हमें पाला है।'

    मां ने अच्छी मां बनना सिखाया

    काजोल, अभिनेत्री

    मां एक्टर थीं, लेकिन जब कभी हमें उनकी जरूरत थी, वह हमारे पास थीं। मां के समझौतों की कीमत मुझे उस समय समझ आई जब मैंने न्यासा को जन्म दिया। मां बनने पर मुझे हर वो पल याद आया जब मां ने बिना किसी की मदद लिए अकेले ही हमें हर खुशी दी। मां बनने के बाद मैंने मां को फोन कर के धन्यवाद दिया। न्यासा की परवरिश भी मैं ठीक वैसे ही करना चाहती हूं जैसी मां ने हमारी की।

    मां को थैंक्यू नहीं बोल पाई

    अमिता देसाई, प्राची की मा

    आज प्राची जब मुझे थैंक यू मॉम कहती है तो मैं सोचती हूं कि क्या मैं अपनी मां को थैंक यू बोल पाई? क्या मैं उनको इतना प्यार दे पाई जितना प्राची मुझे देती है? अपनी मां को बहुत नजदीक से पहचान रही हूं मैं। जब प्राची का जन्म हुआ था, तब भी मैंने जाना था कि जितनी खुशी मुझे हो रही है उतनी ही मेरी मां को मेरे जन्म के समय हुई होगी। बहुत प्यार करती थी प्राची की नानी और प्राची भी उनके बहुत क्लोज थी।

    इच्छाओं को मां ने पहचाना

    प्राची देसाई, अभिनेत्री

    मेरी नानी की पूरी दुनिया मेरी मां यानी उनकी बेटी के इर्द-गिर्द घूमती थी और मेरी मां का तो सारा जहां हम दोनों बहनें हैं। मां हमेशा मेरे साथ रहीं। हमारी इच्छाओं को बखूबी पहचाना है इन्होंने। हमेशा मोटिवेट किया कि जो करना चाहो कर सकती हो। मम्मी अपनी हर बात नानी को बताती थीं और मैं अपनी हर चीज मम्मी से शेयर करती

    हूं। मेरे लिए सबसे अच्छा कॉम्पलिमेंट वो होता है, जब कोई कहता है कि मैं अपनी मां जैसी लगती हूं।

    मां से बड़ी पदवी नहीं

    रवीना टंडन, अभिनेत्री

    बेटी राशा और बेटे रणबीर की पैदाइश के दौरान मेरी मां हर समय मेरे साथ रहीं। वह कहा करती थीं कि मां से बड़ी पदवी और कोई नहीं है। राशा और रणबीर के जन्म से पहले ही तरह-तरह के खिलौनों से उन्होंने घर भर दिया। मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि राशा और रणबीर को मेरी मां जैसी नानी मिलीं। मां का उनको समय देने का नतीजा रहा कि मैं प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी के बीच संतुलन स्थापित कर सकी।

    (लखनऊ से दीपा श्रीवास्तव, गुड़गांव से प्रियंका दुबे मेहता, पटना से शुभ्रा पांडे, मुंबई से अमित कर्ण के इनपुट के साथ)

    यशा माथुर

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