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    महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ-साथ हासिल की हैं ये उपलब्धियां

    By Vikash GaurEdited By:
    Updated: Mon, 25 May 2020 09:21 AM (IST)

    Achievement of Balbir Singh Sr हॉकी के महान खिलाड़ी और तीन बार के ओलंपिक गोल्ड विनर बलबीर सिंह सीनियर का निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

    महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ-साथ हासिल की हैं ये उपलब्धियां

    चंडीगढ़, पीटीआइ। Balbir Singh Sr dies: हॉकी के महान खिलाड़ी और तीन बार के ओलंपिक गोल्ड विनिंग टीम इंडिया के हिस्सा रहे बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को निधन हो गया है। दिग्गज हॉकी प्लेयर बलबीर सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले दो सप्ताह से बलबीर सिंह की हालत नाजुक बनी हुई थी और वे कई तरह की बीमारियों से ग्रसित थे। सोमवार को मोहाली के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

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    बलबीर सिंह 95 साल के थे। प्रतिष्ठित हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह की एक बेटी सुशबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करनबीर और गुरबीर हैं। मोहाली के निजी अस्पताल के डायरेक्टर ने बताया है कि उनका निधन सोमवार 25 मई की सुबह साढ़े 6 बजे हुआ है। बलबीर मोहाली के फॉर्टिस अस्पताल में 8 मई को भर्ती किए गए थे। अस्पताल में इलाज के दौरान उनको एक बार दिल का दौरा भी पड़ा था। काफी समय से वे वेंटिलेटर पर थे।

    बलबीर 18 मई से एक अर्ध-कोमाटोज अवस्था में थे और उच्च बुखार के साथ ब्रोन्कियल निमोनिया के लिए अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनके मस्तिष्क में रक्त का थक्का विकसित हो गया था। देश के महानतम एथलीटों में से एक, बलबीर सीन एकमात्र भारतीय थे, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति में चुना गया था। ओलंपिक के पुरुष हॉकी फाइनल में एक व्यक्ति द्वारा बनाए गए अधिकांश गोलों के लिए उनका विश्व रिकॉर्ड अभी भी नाबाद है।

    हॉकी में गोल मशीन के नाम से फेमस बलबीर सिंह सीनियर ने जितने गोल ओलंपिक फाइनल में किए हैं वो रिकॉर्ड अभी तक बरकरार है। भारत ने जब 1952 के ओलंपिक गेम्स में नीदरलैंड के खिलाफ 6-1 से जीत दर्ज की थी, तब उन्होंने अकेले भारत के लिए 5 गोल किए थे। साल 1957 में उनको पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। ये पुरुस्कार पाने वाले वे देश के पहले नागरिक थे। इतना ही नहीं, इस महान खिलाड़ी को लंदन ओलंपिक 2012 में सदी का बेहतरीन खिलाड़ी चुना गया था। यह सम्‍मान पाने वाले वह एशिया में एकलौते खिलाड़ी थे। साल 2015 में उन्हें मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला।