2000 सिडनी ओलिंपिक की दिल तोड़ने वाली हार का दुख कम हुआ, हाकी टीम के कांस्य जीतने पर बोले धनराज पिल्लै
धनराज पिल्लै ने अपने कालम में लिखा कि सेमीफाइनल में मिली हार के बाद वापसी करना कभी भी आसान नहीं होता लेकिन इस टीम ने मानसिक और शारीरिक तौर पर खुद को अलग ही सांचे में ढाल लिया।
धनराज पिल्लै का कालम। 41 साल का इंतजार, दर्द आखिरकार खत्म हो गया। कांस्य पदक जीतने की दिशा में इस मजबूत इच्छाशक्ति वाली टीम ने क्या जबरदस्त जज्बा दिखाया। व्यक्तिगत रूप से इस पदक ने 2000 सिडनी ओलिंपिक की दिल तोड़ने वाली हार के दुख को भी कुछ हद तक कम किया है जो मुझे अभी तक सालती है। जैसे ही अंपायर ने मैच खत्म होने का संकेत दिया, मैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सका। मैं खुद को जाहिर करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मुझे शब्द नहीं मिल रहे थे। सेमीफाइनल में मिली हार के बाद वापसी करना कभी भी आसान नहीं होता लेकिन इस टीम ने मानसिक और शारीरिक तौर पर खुद को अलग ही सांचे में ढाल लिया। जर्मनी के खिलाफ कभी न हार मानने के टीम के जज्बे ने उन्हें पदक की मंजिल तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया।
दुनिया के लोगों को कोविड-19 के चलते काफी कुछ झेलना पड़ा है और भारत भी इससे काफी प्रभावित हुआ है। इन अंधियारे दिनों में ये कांस्य पदक देश को उजियारा देगा। ठीक वैसे ही जैसे अन्य खेलों में हमने अभी तक पदक जीते हैं। भारत में हाकी सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि ये भावनाओं का जुनून है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और खेल मंत्री समेत पूरे देश ने टीम को अपार समर्थन दिया है। एक एथलीट को और क्या ही चाहिए होता है। बेशक टीम के सदस्यों ने अपना दिल निकालकर प्रदर्शन किया और कोचों ने योजनाओं को अच्छी तरह लागू किया, लेकिन अगर मैं इतने वर्षो से टीम को को मिलते आ रहे समर्थन को नजरंदाज करूंगा तो ये गलत होगा।
ओडिशा सरकार ने विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराया
हाकी एक टीम गेम है और आपको सभी क्षेत्रों में समर्थन की दरकार होती है। इस मामले में आर्थिक मजबूती अहम भूमिका निभाती है। हाकी में कारपोरेट फंडिंग साल 2003 में आई थी जब सहारा इंडिया परिवार के सुब्रत राय ने टीम को समर्थन देना शुरू किया था। कुछ साल पहले ही मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओडिशा सरकार ने हाकी की ओर हाथ बढ़ाया। न केवल उन्होंने पैसों से मदद की बल्कि विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर भी मुहैया कराया। साथ ही 2018 में हाकी विश्व कप जैसा बड़ा आयोजन भी कराया। इससे भारत को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों से भिड़ने की दिशा में बेहतर तैयारी करने का मौका मिला।
टीम को इस पल के लिए तैयार होने में कई साल लगे
इस टीम को इस पल के लिए तैयार होने में कई साल लगे। टर्निग प्वाइंट साबित हुई 2016 जूनियर विश्व कप में मिली जीत, जो हरेंद्र सिंह की कोचिंग में टीम ने लखनऊ में मिली। मुझे विश्वास है कि ये भारतीय हाकी के एक शानदार सफर की शुरुआत भर है। मैं भारतीय महिला हाकी टीम को भी शुभकामनाएं देता हूं जिसे अपने कांस्य पदक के मैच के लिए ग्रेट ब्रिटेन से भिड़ना है। जाइये, और अपना पदक जीतिए। साथ ही रजत पदक जीतने के लिए पहलवान रवि कुमार दहिया को भी बहुत बधाई। ये आखिरी बधाई नहीं है। मैं देश की मीडिया को भी बधाई देता हूं जिसने इन खिलाडि़यों को ट्रैक किया, उनका समर्थन किया और उन्हें लाइमलाइट में लेकर आए।