'ऑपरेशन सिंदूर तभी रुके जब आखिरी आतंकी ठिकाना ध्वस्त हो जाए', शहीद दिलावर खान के पिता की सेना से अपील
पहलगाम हमले के बाद भारत की कार्रवाई से शहीद दिलावर खान के पिता कर्मदीन ने संतोष जताया। उन्होंने कहा कि यह उनके बेटे के बलिदान का सच्चा बदला है। उन्होंने केंद्र सरकार और सेना से ऑपरेशन सिंदूर तभी रुके जब आखिरी आतंकी ठिकाना ध्वस्त हो जाए जारी रखने की अपील की।
जागरण संवाददाता, बंगाणा। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत की कार्रवाई से देश के लिए बलिदान हुए सैनिकों के स्वजन का आक्रोश भी शांत हुआ है। ऊना जिले के बंगाणा उपमंडल के घरवासड़ा गांव के बलिदानी दिलावर खान के पिता कर्मदीन ने भारत सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक पर संतोष जताते हुए कहा कि यह उनके बेटे के बलिदान का सच्चा बदला है।
उन्होंने केंद्र सरकार और भारतीय सेना से अपील की कि ऑपरेशन सिंदूर को तब तक जारी रखा जाए जब तक एक-एक आतंकी ठिकाने को नेस्तनाबूद न कर दिया जाए।
गांववासियों ने भी केंद्र सरकार से आतंक के खिलाफ इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने की मांग की है। आरआर-28 बटालियन में तैनात दिलावर खान 23 जुलाई, 2024 को श्रीनगर के कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान हो गए थे।
कुपवाड़ा में शहीद हुए थे दिलावर खान
28 वर्ष की आयु में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने पर दिलावर खान को इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर कीर्ति चक्र दिया है। पिता कर्मदीन व मां भोलन बीबी को अपने वीर सपूत पर गर्व है।
23 जुलाई, 2024 को कुपवाड़ा की लोलाब घाटी में सर्च ऑपरेशन के दौरान दिलावर खान व उनकी टीम ने दो आतंकियों को देखा। उनमें से एक आतंकी सर्च टीम के बिल्कुल करीब था।
घायल होने के बावजूद दिलावर खान ने एक आतंकी को दबोच लिया व दूसरे ने फायरिंग जारी रखी। दिलावर ने आतंकी को पाइंट ब्लैक रेंज से धराशायी कर दिया, लेकिन गंभीर रूप से घायल नायक दिलावर खान भी बलिदान हो गए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।