मिट्टी के दीये संग दीवाली की खुशियां होंगी दोगुनी
इस बार बाजार में मिट्टी से बने दीये व अन्य सामान की खासी मांग है।
राकेश राणा, बंगाणा
इस बार बाजार में मिट्टी से बने दीये व अन्य सामान की खासी मांग है। बाजार से चीन निर्मित वस्तुएं गायब हैं, यही कारण है कि इस बार लोग अपनी परंपरा के अनुरूप सदियों से दीवाली पर घरों को रोशन कर रहे मिट्टी के दीया खरीद रहे हैं। इससे इस कारोबार से जुड़े लोगों के चेहरे खिल गए हैं। बाजार में जगह-जगह मिट्टी से बने दीये व अन्य सामान के स्टाल देखे जा सकते हैं।
मुच्छाली पंचायत के यशपाल शर्मा भी इस कारोबार से बीते 15 साल से जुड़े हैं। यशपाल ने बताया कि पहले इस काम में ठीक आमदनी होती थी। जब से चीन निर्मित माल बाजारों में आना शुरू हुआ है, तब से लोगों का रुझान धीरे-धीरे कम होने लगा था। पहले तो केवल धार्मिक कार्यक्रमों में ही यह सामान बिकता था। मार्च से लाकडाउन की वजह से सभी कामकाज ठप हो गया था। अब चीन निर्मित सामान पर पाबंदी के चलते इस बार मिट्टी से बने सामान की मांग बढ़ी है।
यशपाल शर्मा अपनी दुकान पर मिट्टी के घड़े, दीये, कलश, बच्चों की गुल्लक, करूया, टोकरे, खारे, विवाह शादियों में रसोई में इस्तेमाल होने वाली छड़ें आदि सामान के साथ साथ अन्य सामान बेचते हैं। फिलहाल उन्हें इस बार इन मिट्टी से बने बर्तनों की ग्राहकों में जरूरत देखकर खासी उम्मीद बंधी है।
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यशपाल देते हैं कई कुम्हारों को काम
यशपाल बताते हैं कि इस बार चाइनीज सामान पर रोक रही तो आने वाले त्योहारों में अच्छी आय होने की उम्मीद है। दुकान पर मिट्टी के बर्तनों सहित दीवाली पर्व पर दीये की बिक्री के लिए स्वरोजगार और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जिला सहित अन्य स्थानों के कुम्हारों को काम देते हैं। वह इस सामान को जिला ऊना के टक्का, हरोली, जलग्रां और सरकाघाट से मंगवा रहे हैं।
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