हिमाचल: बैंकाक में होटल की नौकरी का झांसा देकर पहुंचाया म्यांमार, पासपोर्ट जब्त कर ऊना का युवक बना लिया बंधक
ऊना के एक युवक को बैंकाक में होटल की नौकरी का झांसा देकर म्यांमार में बंधक बनाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर जीरो एफआईआर दर्ज कर ...और पढ़ें

ऊना के युवक को नौकरी के नाम पर ठगी हुई है। प्रतीकात्मक फोटो
संवाद सहयोगी, गगरेट (ऊना)। विदेश में होटल में नौकरी दिलाने का सपना दिखाकर हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना निवासी एक युवक को म्यांमार तक पहुंचा कर बंधक बनाने का मामला सामने आया है। शिकायत के आधार पर पुलिस थाना सदर ऊना में जीरो एफआइआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने उत्तराखंड निवासी एक व्यक्ति को आरोपित करते हुए अभियोग पंजीकृत किया है।
शिकायतकर्ता खुशी राम पुत्र गीता राम, निवासी गांव कोट, डाकघर मैहंडी, तहसील करसोग, जिला मंडी वर्तमान में ऊना स्थित ओलिव ट्राटर होटल में एफएंडबी कैप्टन के पद पर कार्यरत है। इससे पूर्व वह ऊना के ही शुकराना रिजार्ट्स एंड स्पा में कार्य करता था। उसकी पहचान उत्तराखंड निवासी सौरभ परिहार से हुई।
बैंकाक में नौकरी का प्रलोभन दिया
खुशी राम ने शिकायत में बताया है कि सौरभ परिहार ने बैंकाक के एक होटल में नौकरी की वैकेंसी होने की बात कही और दावा किया कि उसका परिचित रमन कुमार, निवासी उत्तराखंड बैंकाक में रहता है और वर्क परमिट सहित होटल में नौकरी लगवा देगा।
बैंकाक में यूपी निवासी ने किया रिसीव
सितंबर, 2025 में आरोपित रमन ने दोनों के टूरिस्ट वीजा और हवाई टिकट का प्रबंध किया। इसके एवज में दोनों ने अलग-अलग 75-75 हजार रुपये बैंक के माध्यम से ट्रांसफर किए। दिल्ली से बैंकाक पहुंचने पर उन्हें एयरपोर्ट से उत्तर प्रदेश निवासी एक व्यक्ति ने रिसीव किया और स्लीप कैफे में ठहराया गया, जहां वे तीन दिन रहे।
म्यांमार-थाईलैंड बार्डर पर ले गए
इसके बाद उत्तराखंड निवासी नितिन रमोला उर्फ पावलो ने बताया कि रमन का रेस्टोरेंट अभी खुला नहीं है और दोनों को म्यांमार-थाईलैंड बार्डर स्थित केके पार्क कंपनी ले जाया गया।
पासपोर्ट कब्जे में लेकर वीडियो बनवाए
शिकायत के अनुसार वहां लोकल आर्मी के अलावा चीनी नागरिक भी मौजूद थे। चीनी लोगों ने दोनों से जबरन वीडियो बनवाए, पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिए और काम छोड़ने पर जुर्माना भरने की धमकी दी।
म्यांमार आर्मी ने किए रेस्क्यू
करीब 15 दिन बाद म्यांमार आर्मी वहां पहुंची, जिन्हें पीड़ितों ने अपनी आपबीती बताई। इसके बाद उन्हें लोकल म्यांमार आर्मी के हवाले कर दिया गया, जहां वे लगभग डेढ़ माह तक रहे। डेढ़ महीने बाद थाईलैंड आर्मी ने दोनों को भारतीय दूतावास के हवाले किया, जिसके बाद वे सुरक्षित भारत लौट सके।
पुलिस ने शुरू की जांच
मामले में पुलिस ने जीरो एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जिला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र शर्मा ने बताया कि मामले को लेकर शिकायत प्राप्त हुई है। सभी तथ्यों की गहनता से पड़ताल की जा रही है।

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