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    आय बढ़ाने का महत्वपूर्ण जरिया हो सकता है पशुपालन : संजय

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 26 Nov 2021 07:37 PM (IST)

    राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान केंद्र करनाल की तरफ से शुक्रवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। आनलाइन वेब मीटिग की अध्यक्षता भारतीय कृ ...और पढ़ें

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    आय बढ़ाने का महत्वपूर्ण जरिया हो सकता है पशुपालन : संजय

    संवाद सहयोगी, चितपूर्णी : राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान केंद्र करनाल की तरफ से शुक्रवार को वेबिनार का आयोजन किया गया। आनलाइन वेब मीटिग की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्र ने की। इस वेबिनार में जसवां-परागपुर क्षेत्र के 28 किसानों ने भाग लिया।

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    वेबिनार में पैनल के सदस्य के तौर पर अपने विचार रखते हुए कैप्टन संजय ने कहा कि पशुपालन की सही जानकारी हासिल करके किसान इस व्यवसाय का पूरा फायदा उठा सकते हैं। किसानों की आय दोगुणी करने के लक्ष्य को हासिल करने में पशुपालन महत्वपूर्ण जरिया हो सकता है। किसान उन्नत नस्ल की गाय-भैंस पालकर और पशुओं को संतुलित आहार देकर दो से तीन गुणा दुग्ध उत्पादन कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। कैप्टन संजय ने कहा कि वह जसवां-परागपुर क्षेत्र के किसानों और पशुपालकों की आमदनी को बढ़ाने के लिए विशेष प्रोजेक्ट के तहत कार्य कर रहे हैं। इसमें राष्ट्रीय नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल के प्रधान विज्ञानियों का भरपूर सहयोग मिला है। हाल ही में इस अनुसंधान केंद्र का क्षेत्र के पशुपालकों ने दौरा किया था और इस भ्रमण के बाद किसान पशुपालन की नवीनतम तकनीक व दुग्ध उत्पादों से आय बढ़ाने के तरीके सीख कर आए थे।

    एनडीआरई के विज्ञानी डा. गुंजन भंडारी ने कहा कि भारत में हर वर्ष 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है। यह दिन डा. वर्गीज कुरियन की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भारत के दुग्ध उत्पादन को विश्व पटल पर लाने एवं भारत को सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने में डा. कुरियन का बहुत बड़ा योगदान रहा है और 2014 से यह दिवस श्वेत क्रांति के रूप में मनाया जा रहा है। डा. गोपाल सांखला ने कहा कि डा. वर्गीस कुरियन को भारत के श्वेत क्रांति के पिता और दूधवाले के रूप में जाना जाता है। उनका का जन्म 26 नवंबर, 1921 को हुआ था। उन्होंने आपरेशन फ्लड नामक दुनिया के सबसे बड़े कृषि डेयरी विकास कार्यक्रम का आयोजन किया। 1964 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 1965 में पद्मश्री, 1966 में पद्मभूषण और 1999 में पद्म विभूषण मिला। उनके प्रयासों ने भारत की डेयरी खेती को सबसे बड़ा आत्मनिर्भर उद्योग और सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार प्रदाता बना दिया।

    आनलाइन बैठक में जसवां-परागपुर क्षेत्र से पशुपालक सतपाल सिंह, आशीष राणा, विनय शर्मा, सुखदेव, करनैल सिंह, विशाल, शशि, मुकेश, अशोक कुमार, राजेश, राजीव, अनिल और जगत राम भी शामिल रहे। इन्होंने बताया कि कैप्टन संजय के सौजन्य से उन्हें वेबिनार में भाग लेने का मौका मिला और विशेषज्ञों व विज्ञानियों से जानकारी हासिल की।