अब राहत मिली पर सरकार से राहत की उम्मीद
प्रत्येक वर्ष 30 अगस्त को लघु उद्योग दिवस इन उद्योगों को प्रोत्साहन देने व र

रणेश राणा, बद्दी
प्रत्येक वर्ष 30 अगस्त को लघु उद्योग दिवस इन उद्योगों को प्रोत्साहन देने व रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पिछले साल की तरह इस साल भी लघु उद्योग दिवस कोरोना के प्रभाव से अछूता नहीं रह सका। दो साल में कई लघु उद्योग व थर्ड पार्टी कार्य करने वाले उद्योग कोरोना के प्रभाव से बाहर नहीं आ पाए हैं। हालांकि अब कुछ हालात सामान्य हुए हैं, लेकिन उद्यमी सरकार से राहत की उम्मीद लगाए हुए हैं।
कोरोना काल में सबसे ज्यादा मार जूता, गत्ता व कपड़ा उद्योगों पर पड़ी, जिनको तालाबंदी तक की नौबत आ गई। कुछ को उत्पादन बंद करना पड़ा, जबकि कुछ उद्यमी कारोबार ही समेट चुके हैं। प्लास्टिक इंजेक्शन मोल्डिंग के उद्योगों, जिनका अधिकांश काम थर्ड पार्टी का होता है, का वजूद भी हिलता नजर आया। दूसरी लहर से बाहर आने के बाद कुछ उद्योगों में कामकाज दोबारा पटरी पर लौटा है। कोरोना काल में काम की भारी दिक्कत के साथ आर्थिक तंगी ने कमर तोड़ दी है। सरकार सुध नहीं ले रही है। लघु उद्योगों को दोबारा से खड़ा करने के लिए सरकार को वोकल फार लोकल के तहत सरकारी टेंडर में उद्योगों को तरजीह देनी चाहिए, बिजली बिल में अगले दो साल के लिए रियायत देनी चाहिए।
-चिंरजीव ठाकुर, अध्यक्ष, फार्मा विंग हिमाचल प्रदेश। दूसरी लहर में टीकाकरण के बाद मार्केट खुलने पर कुछ राहत मिली है। केंद्र सरकार ने उद्योगों को मंदी से उबारने के लिए क्रेडिट लिमिट का 10 फीसद व फिर 20 फीसद देकर मदद की, लेकिन वह भी नाकाफी रही। केंद्र सरकार से उम्मीद है कि पहले जैसे मदद की जाए। अब तक हिमाचल सरकार से आर्थिक कोई मदद नहीं मिली है।
-अशोक राणा, अध्यक्ष, बीबीएन पैकेजर्स एसोसिएशन। सरकारी विभागों के बोर्डो में लघु उद्योगों के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित हो, ताकि धरातल की समस्याओं से सरकार को अवगत करवा सकें। सरकारी योजनाओं के लाभ की जानकारी के लिए विभाग सेमिनार का आयोजन करें। बिजली व पानी के बिल देरी से भरने पर पैनल्टी से छुटकारा मिले, ब्याज दरों में भी छूट मिलनी चाहिए।
-रामकिशन शर्मा, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती बद्दी। बैकों ने कोरोना लोन दिया, ताकि लघु उद्योग अपने रुके हुए भुगतान कर सकें, लेकिन बैंक कुल बिक्री की सीमा में छूट नहीं दे रहे। कोरोना से कई सेक्टर प्रभावित हैं तो अपना माल बेचने कहां जाएं। कोरोना काल में भी प्रदूषण, उद्योग या बिजली अथवा टैक्स विभाग ने अपनी शर्तो या फीस में कोई कमी नहीं की।
-पंकज गुप्ता, मारूती इंडस्ट्रीज 98 दवनी, बद्दी। लघु उद्योग बुरी तरह से लड़खड़ा गए हैं। उनकी पूंजी लगभग खत्म हो रही है, क्योंकि कार्य बहुत ही कम है। हिमाचल में पेमेंट की बहुत अधिक समस्या है। बड़ी कंपनियां 90 से 100 दिन में छोटे उद्योगों को भुगतान कर रही हैं। सरकार को इस विषय में ध्यान देना चाहिए। बैंक से लोन मिलने से काम नहीं चलेगा। ब्याज दर बहुत ज्यादा है।
-सुरेंद्र जैन, अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश गत्ता उद्योग संघ।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।