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    Himachal News: केसी ओवरसीज के संचालकों को हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत, उद्योगों को बेचा था दोयम दर्जे का माल

    दवाई बनाने के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले कच्चे माल में अदला बदली करके ब्रांडेड की जगह दोयम दर्जे का कच्चा माल बेचने के मामले में शिमला हाईकोर्ट ने संबंधित ट्रेडरों की जमानत याचिका रद्द कर दी है। ड्रग विभाग ने केसी ओवरसीज कंपनी के संचालकों ने हिमाचल प्रदेश के कुछ दवा उद्योगों को बेकार क्वालिटी का कच्चा माल बेचने के चलते उनके ऊपर मामला दर्ज किया था।

    By Suneel Kumar SharmaEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Fri, 22 Sep 2023 03:12 PM (IST)
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    केसी ओवरसीज के संचालकों को हाईकोर्ट से नहीं मिली जमानत (फाइल फोटो)

    बद्दी, संवाद सहयोगी। दवाओं के निर्माण में प्रयोग होने वाले कच्चे माल में अदला बदली करके ब्रांडेड की जगह दोयम दर्जे का कच्चा माल बेचने के मामले में शिमला हाईकोर्ट ने इससे संबंधित ट्रेडरों की जमानत याचिका रद्द कर दी है।

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    प्राप्त जानकारी के अनुसार पंचकूला स्थित केसी ओवरसीज कंपनी (KC Overseas Company) के संचालकों ने हिमाचल प्रदेश के कुछ दवा उद्योगों (Medical Industry) को ब्रांडेड कच्चा माल के नाम पर दोयम दर्जे का कच्चा माल बेच दिया था। इसका खुलासा होने के बाद ड्रग विभाग ने उनके ऊपर मामला दर्ज किया था।

    ड्रग विभाग ने कहा अभी आरोपितों से पूछताछ की जानी बाकी है

    इसके बाद कंपनी के दोनों संचालकों ने हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी। कुछ दिन पहले अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त हुई तो उसके बाद उनकी स्थाई जमानत को लेकर शिमला हाईकोर्ट में जमकर दोनों पक्षों में बहस हुई थी और कोर्ट ने फैसला 20 सितंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था। ड्रग विभाग ने कहा कि अभी आरोपितों से काफी कुछ पूछताछ की जानी बाकी है और इसलिए उन्हें जमानत न दी जाए।

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    आरोपितों के वकील ने ये कहा

    वहीं आरोपितों के वकील ने कहा था कि अंतरिम जमानत के दौरान मेरे मुवक्किलों ने ड्रग विभाग को पूर्ण सहयोग किया है। इसलिए वह जमानत के हकदार हैं। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस व जिरह सुनने के बाद केसी ओवरसीज के दोनों संचालकों को रद्द कर दिया। अब उनके पास दो ही विकल्प है या तो ड्रग विभाग के पास सरेंडर या फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए।

    आरोपितों का कहना हमें गलत तरीके से फंसाया गया

    इस मामले में हिमाचल प्रदेश औषधि नियंत्रक विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मेहनत रंग ले आई है। उन्होंने पूरी कोशिश की थी कि जमानत रद हो जाए ताकि जांच में अहम खुलासे हो सके। अब विभाग की पुरजोर कोशिश है कि संबंधित आरोपितों को गिरफ्त में लिया जाए। वहीं आरोपी अपने आप को लगातार निर्दोष बता रहे हैं कि हमारा कोई कसूर नहीं है और हमें गलत तरीके से फंसाया गया है।

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