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    Himachal News: पाले की मार झेल रही फसलें, गेहूं-लहसुन समेत ये सब्जियां सूखे की चपेट में; बारिश की आस में पथराई आंखें

    Updated: Fri, 12 Jan 2024 04:08 PM (IST)

    Himachal News सिरमौर में पिछले पांच माह में बारिश न होने से फसलों पर इसका सीधा असर पड़ना शुरू हो गया है। जिले के कई हिस्सों में फसलें पीली पड़ गई हैं। इस समय फसलों के लिए बारिश की काफी जरूरत है। बारिश न होने से गेहूं की पैदावार पर असर पड़ रहा है। इसका आकार नहीं बढ़ पा रहा है।

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    खासकर गेहूं और लहसुन की फसलें सूखे की चपेट में आ रही हैं

    जागरण संवाददाता, नाहन। जिला सिरमौर में पिछले पांच माह में बारिश न होने से फसलों पर इसका सीधा असर पड़ना शुरू हो गया है। जिले के कई हिस्सों में फसलें पीली पड़ गई हैं। खासकर गेहूं और लहसुन की फसलें सूखे की चपेट में आ रही हैं। ऐसे में किसानों की चिंता भी बढ़ गई है।

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    इस समय फसलों के लिए बारिश की काफी जरूरत है। बारिश न होने से गेहूं की पैदावार पर असर पड़ रहा है। इसका आकार नहीं बढ़ पा रहा है। जिला के मैदानी इलाकों में ये फसल कोहरे की चपेट में आ रही है, तो ऊपरी इलाकों में रात के समय पड़ने वाला पाला जला रहा है। ऐसा ही हाल लहसुन की फसल का भी है। जिले पच्छाद के नारग, मानगढ़, वासनी, जयहर, लानाबाका, राजगढ़, श्रीरेणुकाजी के नौहराधार, हरिपुरधार, लानाचेता, संगड़ाह के अलावा सैनधार और धारटीधार की कई पंचायतों में लहसुन बहुतायत मात्रा में उगाया जा रहा है। लहसुन की फसल पर भी रोपाई के बाद एक बार भी बारिश नहीं पड़ी।

    4100 हेक्टेयर पर हो रहा लहसून का उत्पादन

    इसके साथ साथ जौ, मटर, सरसों, आलू, प्याज के अलावा सब्जियां भी प्रभावित हो रही हैं। बता दें कि सिरमौर में 26,500 हेक्टेयर रकबे पर गेहूं का उत्पादन किया जा रहा है। इसकी तरह लहसुन उत्पादन जिले में 4,100 हेक्टेयर पर हो रहा है। इस समय फसलों को बारिश की बेहद जरूरत है। यदि समय पर बारिश न पड़ी तो सीधा उत्पादन पर इसका असर पड़ेगा।

    क्षेत्र के किसान सतीश कुमार, रमन ठाकुर, रघुवीर सिंह, तेजेंद्र पाल, भजन लाल, लायक राम, नरदेव सिंह व संतोष आदि ने बताया कि इन दिनों फसलें कोहरे और पाले की चपेट में आ रही हैं। पहले ही पिछले पांच माह से बारिश नहीं हुई है। अब फसलों पर सूखे का खतरा मंडरा गया है। उन्होंने बताया कि जिले में नाममात्र सिंचाई के साधन हैं। जिले के ऊपरी इलाकों में फसलें बारिश पर ही निर्भर हैं। यदि जल्द बारिश न हुई, तो किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।

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