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सर्वे में ही बिता दिए 50 साल, सिरमौर को कब मिलेगी रेल

आजादी के 70 वर्ष बाद भी सिरमौर रेल सेवा ने नहीं जुड़ पाया है।

By Edited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 05:31 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 03:01 AM (IST)
सर्वे में ही बिता दिए 50 साल, सिरमौर को कब मिलेगी रेल
सर्वे में ही बिता दिए 50 साल, सिरमौर को कब मिलेगी रेल

नाहन, जेएनएन। हिमाचल का यह दुर्भाग्य ही है कि प्रदेश के लिए बनी अधिकतर रेल योजनाएं अभी तक बेपटरी है। प्रदेश सरकार की ढिलाई हो या केंद्र की लेटलतीफी, खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सिरमौर जिले के कालाअंब-पावटा साहिब जैसे औद्योगिक क्षेत्र आज तक रेल लाइन को तरस रहे हैं। जिला सिरमौर तक रेल पहुंचाने का मामला अब केवल चुनावी मुद्दा ही बन कर रह गया है।

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भाजपा-कांग्रेस को केवल चुनाव में ही कालाअंब-पावटा औद्योगिक क्षेत्र तक रेल पहुंचाने की याद आती है। उसके बाद दोनों दलों के नेता सिरमौर में रेल पहुंचाने की बात भूल जाते हैं। दरअसल पावटा साहिब में धार्मिक और औद्योगिक विकास के साथ यहा आइआइएम धौलाकुआ व नाहन में मेडिकल कॉलेज खुलने से रेल सेवा की माग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। इस लिहाज से सिरमौर को रेल लाइन और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। वहीं, हर चुनाव में भाजपा व कांग्रेस पांवटा साहिब-कालाअंब को अंबाला, देहरादून व यमुनानगर रेल लाइन से जोड़ने की बात करती है। हिमाचल के सांसदों ने कई बार दिल्ली में इस रेल योजना को सिरे चढ़ाने को प्रयास किया, मगर उन्हे रेल मंत्री से कोरे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। देश की आजादी के 70 वर्ष बाद भी विकास में पिछड़ा जिला सिरमौर रेल सेवा से नहीं जुड़ पाया है।

साढे़ चार वर्ष पूर्व लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता पावटा-कालाअंब रेल विस्तार के वादे कर गए थे, जो अब एक बार फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में बाहर आने लगे है। कालाअंब व पावटा साहिब जहा जिला के मुख्य औद्योगिक नगर है। वहीं पावटा साहिब सिक्खों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। वहीं, पावटा साहिब के मिश्रवाला में स्थित कादरिया मदरसे में भी देशभर के शिक्षार्थी आते हैं। पावटा के समीप धौलाकु आ में प्रदेश का पहला आइआइएम का कैंपस बनने जा रहा है। दूसरी ओर भारतीय सेना भी राजबन के पास एजुकेशन कोर स्थापित कर रही है।

इसके अलावा पावटा साहिब देश की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडी से जुड़ा है। जिला सिरमौर के लोगों का कहना है कि पावटा क्षेत्र में रेल के विस्तार के लिए सर्वे हुए 50 साल से अधिक का समय हो चुका है, मगर केंद्र व राज्य सरकारों के कोरे आश्वासनों के अलावा आज तक कुछ नहीं मिला। क्षेत्रवासियों की माग है कि कालाअंब-नाहन-पावटा साहिब में प्राथमिकता के आधार पर रेल लाइन प्रदान की जाए। शिमला संसदीय क्षेत्र के सासद वीरेंद्र कश्यप ने बताया कि कालाअंब-पावटा साहिब को रेलमार्ग से जोड़ने का मामला केंद्र के समक्ष प्रभावी ढग से उठाया गया है, मगर बजट ने मिलने के कारण रेल लाइन का कार्य शुरू नहीं हो पाया है।


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