नदी के किनारे हो रहा निर्माण दे रहा बड़े हादसों को न्योता, फिर भी खतरे से बेखबर लोग बनवा रहे भवन
हिमाचल प्रदेश में हर साल बादल फटने बाढ़ और भूस्खलन से भारी नुकसान होता है फिर भी लोग सबक नहीं ले रहे। आपदा को रोका नहीं जा सकता लेकिन नुकसान कम किया जा सकता है। नदियों और नालों के किनारे निर्माण नुकसान का मुख्य कारण है। सिरमौर जिले के पांवटा साहिब रामपुरघाट और धौलाकुआं में नदी किनारे भवन निर्माण खतरे को बुला रहा है।

राजन पुंडीर, नाहन। प्रदेश में हर वर्ष बरसात में बादल फटने, बाढ़ व भूस्खलन से काफी नुकसान हो रहा है, लेकिन लोग कोई सीख नहीं ले रहे हैं। आपदा को रोक नहीं सकते, लेकिन इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
आपदा में नुकसान होने का एक प्रमुख कारण खड्डों, नदियों व नालों के किनारे किया गया निर्माण भी है। सिरमौर जिले के पांवटा साहिब, रामपुरघाट, धौलाकुआं व बाता नदी के किनारे हो रहा भवन निर्माण बड़े हादसे को न्योता दे रहा है।
तकनीकी शिक्षा विभाग ने पांवटा साहिब बहुतकनीकी कॉलेज को धौलाकुआं के समीप शुक्र खड्ड के किनारे ही बनाया है। नाहन के जरजा में नाले के किनारे भवन बनाए जा रहे हैं। जिले के पच्छाद, राजगढ़, नौहराधार, हरिपुरधार व शिलाई में नालों व नदियों के किनारे कैंपिंग साइट बनाई जा रही हैं। शिलाई विधानसभा क्षेत्र का रोनहाट कस्बा नदी के किनारे बसा है।
वहीं यमुना नदी के किनारे पांवटा साहिब का औद्योगिक क्षेत्र है। यमुना व गिरी नदी के किनारे सैकड़ों झुग्गियां बनी हैं। बरसात में नदी में आने वाले पानी से यहां काफी नुकसान भी होता है, लेकिन लोग खतरे से बेपरवाह हैं। औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब का एक बड़ा हिस्सा मारकंडा नदी तथा खैरी खड्ड के किनारे बसा है।
मारकंडा नदी किनारे कई उद्योग स्थापित हैं। बरसात में यहां भारी मात्रा में पानी आने से उद्योगों को खतरा पैदा हो जाता है। एक सप्ताह पहले मोगीनंद व कालाअंब के उद्योगों में भारी वर्षा का पानी भरने से उद्योगों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
वर्ष 2023 में सिरमौर जिले में बादल फटने और नदियों में उफान के चलते 14 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। सिरमौर जिले को दो भागों में बांटने वाली गिरी नदी के किनारे यशवंत नगर, सतौन व ददाहु कस्बों में खड्ड किनारे बने भवनों से भारी नुकसान हो सकता है।
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