ये लोग नहीं कहते सिस्टम है खराब
प्रदेश में सूर्य आग उगल रहा है। इंसान और जीव-जंतु तो इससे परेशानी झेल ही रहे हैं।
राजन पुंडीर, नाहन
प्रदेश में सूर्य आग उगल रहा है। इंसान और जीव-जंतु तो इससे परेशानी झेल ही रहे हैं प्रचंड गर्मी ने पेड़-पौधों को भी झुलसा दिया है। सिरमौर जिला का तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है। बावजूद इसके लू के थपेड़ों को सहते हुए जिला मुख्यालय नाहन के लोग पेड़-पौधों के संरक्षण की मिशाल पेश कर रहे हैं।
नाहनवासी रियासतकालीन ऐतिहासिक विला राउंड सैरगाह में लगे पेड़-पौधों को बचाने के लिए घर से बाल्टी, बोतलों में पानी भर कर लाते हैं और उन्हें सींचते हैं। इनमें से एक राजेंद्र खुराना का उत्साह बेमिशाल है। वह रोजाना यहां कई पौधों को सींचते हैं। प्रचंड गर्मी में जब यहां लगा नल भी जवाब दे गया है तो खुराना घर से पानी भर कर लाते हैं और पौधों को सींचते हैं। इस मुहिम में स्कूल के प्रवक्ता राज कुमार, बीएसएनएल कर्मचारी प्यार चंद, आइपीएच विभाग से सेवानिवृत्त हेमंद्र ठाकुर भी योगदान दे रहे हैं। राज कुमार का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण में सभी शहरवासियों को अपनी भागीदारी निभानी चाहिए। यह केवल सिस्टम का काम नहीं है। इनके अलावा सरकारी स्कूल से सेवानिवृत्त शिक्षक राजेंद्र शर्मा कैंसर रोग से ग्रस्त हैं। इसके बावजूद पर्यावरण के प्रति उनका जज्बा देखने लायक है। वर्षो से शर्मा यहां सैर को आ रहे हैं और रोजाना सुबह-शाम पौधों को पानी देते हैं। शर्मा कहते हैं कि पौधे लगाना पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम है, लेकिन उनकी देखभाल करना उससे भी जरूरी है, यह पुण्य है।
--------
छोटी बच्ची नंदनी का बड़ा संदेश
ऐतिहासिक सैरगाह विला राउंड में यूं तो रोजाना सैकड़ों लोग बच्चों सहित सैर को आते हैं और ज्यादातर सैर कर वापस चले जाते हैं, लेकिन आठवीं कक्षा की छात्रा नंदनी रावत ऐसा नहीं करती। नंदनी स्कूल जाने से पहले सुबह रोजाना यहां पहुंचती है और कुछ पौधों को पानी देती है।
---------
सिस्टम पर सवाल उठाने वालों को आइना
अधिकतर लोग जहां सैर के लिए पार्क आदि न होने पर सरकार और प्रशासन को कोसते हैं या पार्को की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, ऐसे लोगों को नाहनवासी आइना दिखा रहे हैं। जब इन लोगों ने देखा कि गर्मी से विला राउंड के पेड़-पौधे सूख रहे हैं तो किसी की तरफ न देख खुद कमान संभाली। इनकी पर्यावरण को संरक्षित रखने की मुहिम उन लोगों के लिए भी सबक है, जो महज नारों में पर्यावरण संरक्षण का ख्बाव देखते हैं और हर साल पौधरोपण करके सुर्खियां बटोरते हैं, लेकिन इन पौधों के संरक्षण के लिए कुछ नहीं करते। यही वजह है कि ज्यादातर रोपे गए पौधे सूख जाते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।