Reckong Peo स्थित मीरू के जंगल में धधक रही आग, 25 हेक्टेयर में जली वन संपदा; राख हुई जड़ी बूटियां
किन्नौर जिला के कड़छम के नजदीक मीरू के जंगल सहित घासनी में वीरवार सुबह आग लग गई। आग की सूचना मिलते ही वन विभाग सहित अग्निशमन विभाग व पुलिस की टीम पहुंची और आग पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन कई हेक्टेयर में फैलने के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया। वन विभाग ने ड्रोन से भी आग पर नियंत्रण करने की कोशिश की।

संवाद सहयोगी, रिकांगपिओ। किन्नौर जिला के कड़छम के नजदीक मीरू के जंगल सहित घासनी में वीरवार सुबह आग लग गई। आग की सूचना मिलते ही वन विभाग सहित अग्निशमन विभाग व पुलिस की टीम पहुंची और आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन कई हेक्टेयर में फैलने के कारण आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया। वन विभाग ने ड्रोन से भी आग पर नियंत्रण करने की कोशिश की।
भीषण लगी थी आग, नहीं पाया जा सका काबू
आग से करीब 25 हेक्टेयर भूमि में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। वन्य जीव भी आग की भेंट चढ़ गए व कई जड़ी-बूटियां भी राख हो गई। वन विभाग कल्पा के आरओ मनमोहन सिंह ने बताया कि आग पर काबू नहीं पाया जा सका है।
कहीं जल न जाए चिलगोजा
आग लगने के बाद डर इस बात का है कि कहीं चिलगोजा के पेड़ों में आग न लग जाए। बता दें कि इस जगह पर हर कार्यक्रम और शादी ब्याह के समारोह में चिलगोजे के गिरी का इस्तेमाल किया जाता है। सर्दी में भी शरीर को गर्म रखने के लिए गिरी को खाया जाता है। कल्पा व पूह खंड के कुछेक क्षेत्र लोग आजीविका के रूप में भी इसका व्यापार करते है। चिलगोजा का पेड़ सदाबहार होता है। इसकी फसल करीब सात माह में तैयार होती है। यह एक दुर्लभ प्रजाति का पेड़ है।
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