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पच्छाद के किसानों की आय का अहम साधन बन रहा है अनारदाना

जिला सिरमौर के किसान और बागवान इन दिनों अनारदाना से मालामाल हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 09:12 PM (IST)Updated: Sat, 09 Oct 2021 09:12 PM (IST)
पच्छाद के किसानों की आय का अहम साधन बन रहा है अनारदाना
पच्छाद के किसानों की आय का अहम साधन बन रहा है अनारदाना

जागरण संवाददाता, नाहन : जिला सिरमौर के किसान और बागवान इन दिनों नकदी फसल टमाटर, शिमला मिर्च, फ्रांसबीन, अदरक के बाद अनारदाना उर्फ दाडू तोड़ने तथा उसे सुखाने के काम में व्यस्त हैं।

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जिला सिरमौर की पच्छाद उपमंडल की किसानों तथा बागवानी की आय का एक अहम जरिया अनारदाना भी बन चुका है। किसानों को बाजार में अनारदाना का मूल्य 300 से 600 रुपये प्रति किलो तक मिलता है।

जिला सिरमौर की नारग उपतहसील में जंगली अनार, जिसे स्थानीय भाषा में दाडू कहा जाता है, के पौधे काफी मात्रा में पाए जाते हैं। इसे न तो लोग रोपित करते हैं और न ही इनके विशेष रखरखाव की आवश्यकता होती है। सिरमौर जिला का नारग क्षेत्र नकदी फसलों विशेषकर टमाटर, अदरक, शिमला मिर्च, मटर व लहसुन उत्पाद के साथ बागवानी तथा दुग्ध उत्पादन में विशेष स्थान रखता है, जहां हर तीन से चार माह के भीतर किसान बागवान नकदी फसलें उत्पादित कर आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे हैं। प्रदेश सरकार की किसानों तथा बागवानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेकर स्थानीय लोग लाभान्वित हो रहे हैं तथा किसान नकदी फसलों के उत्पाद में भी रूचि ले रहे हैं, जिससे उनके जीवन में बदलाव देखने को मिल रहा है। इस क्षेत्र के युवा स्नातक तक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत रोजगार के लिए दूर ना जाकर कृषि व्यवसाय में जुड़ जाते हैं तथा नकदी फसलों का उतपादन कर अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं। गांव नोहरा के सुधीर शर्मा का कहना है कि वह अपने खेतों में पारंपरिक खेती के साथ-साथ नकदी फसलें भी उगाते हैं, जिनमें विशेषकर टमाटर, शिमला मिर्च और लहसुन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि वह प्रति वर्ष अगस्त माह के अंत में तथा सितंबर माह के शुरू में मात्र 10 से 15 दिन तक घासनीयों, जंगल से तथा खेतों के किनारे कुदरती उगे हुए अनार दाडू के पेड़ से निकला अनारदाना निकालने का काम करते हैं, जिससे उनकी अतिरिक्त आय में वृद्धि होती है। गत वर्ष उन्होंने 1 क्विटल अनार दाने का उत्पाद किया जिसे व्यापारी ने 500 रुपये प्रति किलो उनके घर से ही खरीदा, जिससे उन्हें 50 हजार रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी उन्हें अनारदाना में अच्छे उत्पादन की उम्मीद है। व्यापारी घर से ही उनके उत्पाद को ले जाते हैं, जिससे इसके विपणन की भी कोई समस्या नहीं है तथा अनार दाने के साथ-साथ दाडू का छिलका भी बिकता है, जिसे खांसी की दवाई बनाई जाती है।

गांव डुडर की गृहिणी चंद्रकला शर्मा ने बताया कि गत वर्ष उन्होंने अपने घर व खेती के काम के बाद अतिरिक्त समय में 20000 रुपये का अनारदाना बेचा जिससे उनके परिवार को अतिरिक्त आय के साधन सृजित हुए।

आयुष विशेषज्ञ बताते हैं कि अनारदाना में भरपूर मात्रा में फाइबर विद्यमान है जो कि वजन घटाने में काफी लाभदायक है। अनारदाना विटामिन का अच्छा स्त्रोत है जिसमें विटामिन ए, सी और ई के साथ फोलिक एसिड भी होता है। इसके साथ-साथ ही इसमें एंटी आक्सीडेंट भी होते हैं। अनारदाने में औषधीय गुण भी विद्यमान होते हैं। इसकी चटनी व चूर्ण खून की कमी को पूरा करने का काम करती है। अनार के रस में बैक्टीरिया को मारने की शक्ति होती है इसलिए अनार का रस पीने से पेट के रोग, अपच, गैस, कब्ज में तुरंत आराम मिलता है तथा इसके नियमित सेवन से शरीर की धमनियां भी ठीक रहती हैं। अनार का जूस शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है तथा रक्त संचार को बढ़ाता है। इससे शरीर में अल्जाइमर नामक बीमारी से भी छुटकारा मिलता है।


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