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    हिमाचल में GST का फर्जीवाड़ा, नकली बिलों से 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी, 30 डीलरों को पहुंचा फायदा

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 02:50 PM (IST)

    हिमाचल प्रदेश जीएसटी दक्षिण क्षेत्र परवाणू की टीम ने हिमाचल हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला उजागर किया है। जीएसटी के फर्जी बिलों के माध्यम से आरोपित ने तीन राज्यों में 30 डीलरों को लाभ पहुंचाया जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। आरोपित के कई जीएसटी नंबर निलंबित किए गए हैं। आरोपित लोहा शीशा सीमेंट जैसे वस्तुओं के फर्जी बिल देता था।

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    Himachal News: नकली बिलों से 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी (File h Photo)

    जागरण संवाददाता, नाहन। हिमाचल प्रदेश जीएसटी दक्षिण क्षेत्र परवाणू की टीम ने हिमाचल, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का कारोबार पकड़ा है। जीएसटी के फर्जी बिलों से आरोपित ने तीन राज्यों में 30 डीलरों को करोड़ों रुपये का लाभ पहुंचाया, जिससे केंद्र तथा प्रदेश सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।

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    मामला पकड़ में आने के बाद आरोपित के विभिन्न राज्यों में लगभग छह जीएसटी नंबर या तो निलंबित या रद कर दिए गए हैं। आरोपित ने अपने और रिश्तेदारों के नाम पर जीएसटी नंबर (जीएसटीआइएन) लिए। इनमें से अधिकांश जीएसटीआइएन दो-तीन महीनों में अधिकारियों ने रद या निलंबित कर दिए हैं।

    आरोपित दूसरे राज्यों के डीलरों को लोहा, शीशा, सीमेंट, पेट्रोलियम व स्क्रैप की उच्च मांग वाली वस्तुओं से संबंधित सभी प्रकार के फर्जी बिलों को उपलब्ध करवाता था। आरोपित के नाम-पते के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।

    परवाणू स्थित स्थानीय जीएसटी व्यापारी ने रेलवे के फर्जी बिलों काखेल कुछ वर्ष पहले शुरू किया। धोखाधड़ी का यह कारोबार अब 100 करोड़ रुपये की टर्नओवर तक पहुंच गया है।

    जीएसटी विभाग ने आरोपित से पूछताछ और जांच के दौरान गया कि प्रथम चरण में 30 और करदाता धोखाधड़ी में शामिल पाए गए। आरोपित फर्जी बिलों की होम डिलीवरी भी दे रहा है। जीएसटी दक्षिण क्षेत्र परवाणू ने अप्रैल 2022 में इस धोखाधड़ी करने वाले करदाता को पकड़ा और उसे 10 करोड़ 37 लाख 32 हजार 761 रुपये भरने के आदेश जारी किए।

    जीएसटी दक्षिण क्षेत्र परवाणू द्वारा की गई खुफिया जांच से अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये के कुल फर्जी लेनदेन की सूचना मिली है। आरोपित को जब विभाग की टीम ने टैक्स भरने के आदेश जारी किए, तो वह इन आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में चला गया।

    उच्च न्यायालय में काफी समय तक मामला विचाराधीन रहने के बाद अदालत ने आरोपित को टैक्स जमा करने की निर्देश दिए गए। विभाग की टीम ने प्रदेश में इस फर्जी बिलिंग व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार के डायरेक्टर जनरल आफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआइ) चंडीगढ़ और दिल्ली से भी पत्राचार किया है। जांच के दूसरे चरण में पाया गया कि आरोपित पर सीजीएसटी का भारी भरकम टैक्स लंबित है। सीजीएसटी ने भी आरोपित के जीएसटी नंबर रद किए हैं।