Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिरमौर के डॉ. अशोक के नाम पर किया गया क्षुद्रग्रह का नामकरण, जानिए हिमाचल के खगोल वैज्ञानिक की उपलब्धियां

    By Jagran NewsEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Wed, 28 Jun 2023 10:25 AM (IST)

    Himachal News संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) ने 30 जून को अंतरराष्ट्रीय एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) दिवस मनाने की घोषणा की है। वहीं सिरमौर जिले के डॉ. अशोक कुमार वर्मा पुत्र जगत राम वर्मा के नाम पर ब्रह्मांड में क्षुद्रग्रह 28964 (एस्टेरॉयड) का नामकरण किया गया है। उन्हें ये दुर्लभ सम्मान खगोल भौतिकी में उल्लेखनीय योगदान पर मिला है। डॉ. अशोक के अलावा तीन और भारतीय खगोल वैज्ञानिकों के नाम भी शामिल हैं।

    Hero Image
    सिरमौर के डॉ. अशोक के नाम पर किया गया क्षुद्रग्रह का नामकरण

    जागरण संवाददाता, नाहन। संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) ने 30 जून को अंतरराष्ट्रीय एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) दिवस मनाने की घोषणा की है। इसमें चार भारतीय खगोल विज्ञानियों के नाम शामिल है। इन चार विज्ञानियों के नाम से क्षुद्रग्रह का नामकरण किया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिरमौर जिले के डॉ. अशोक कुमार वर्मा पुत्र जगत राम वर्मा के नाम पर ब्रह्मांड में क्षुद्रग्रह 28964 (एस्टेरॉयड) का नामकरण किया गया है। उन्हें ये दुर्लभ सम्मान खगोल भौतिकी में उल्लेखनीय योगदान पर मिला है।

    दुनिया के विज्ञानियों के नाम पर रखे जाएंगे क्षुद्रग्रहों के नाम

    अंतरिक्ष विज्ञान में ये उपलब्धि हासिल करने वाले अशोक वर्मा पहले हिमाचली होंगे। दुर्लभ उपलब्धि हासिल करने वालों में दो विज्ञानी गुजरात के हैं। इसके अलावा एक विज्ञानी केरल का है। इंटरनेशनल एस्ट्रोमिनिकल यूनियन के वर्किंग ग्रुप स्माल बाडीज नामनक्लेचर ने दुनिया के विज्ञानियों के नाम पर क्षुद्रग्रहों का नाम रखने की घोषणा की है।

    इसमें चार भारतीय भी शामिल हैं। आईएयू खगोलविद एक अंतरराष्ट्रीय संघ है, इसका मिशन अनुसंधान, संचार, शिक्षा और विकास सहित खगोल विज्ञान के तमाम पहलुओं को बढ़ावा देना है।

    नासा के स्पेस फ्लाइट सेंटर में हैं डॉ. अशोक

    यह अंतरराष्ट्रीय संघ ही खगोलीय पिंडों का नाम निर्दिष्ट करता है। नाहन में जन्मे अशोक कुमार ने प्रारंभिक शिक्षा आदर्श विद्या निकेतन स्कूल से प्राप्त की है। इसके बाद जमा दो तक की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) से पूरी की।

    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) खड़कपुर से एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. अशोक ने फ्रेंच स्पेस एजेंसी फ्रांस से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। मौजूदा में नासा के स्पेस फ्लाइट सेंटर में तैनात हैं। डॉ. अशोक के बड़े भाई सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि समूचा परिवार गौरव महसूस कर रहा है।

    बचपन से ही थी ब्राह्मांड कारे लेकर खासी जिज्ञासा

    323 प्रशस्तिपत्र कर चुके हैं प्राप्त डा. वर्मा को एस्ट्रो डायन मिक्स रेडियो साइंस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज व शेल स्क्रिप्टिंग में महारत हासिल है। डॉ. वर्मा की रिसर्च से जुड़े 23 पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। 323 प्रशस्तिपत्र प्राप्त कर चुके हैं। डॉ. अशोक की बचपन से ही ब्राह्मांड कारे लेकर खासी जिज्ञासा रहती थी। 2015 में नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला के नाम पर भी क्षुद्रग्रह का नाम रखा गया था।

    1819 में खोजा गया था पहला क्षुद्रग्रह सेरेस

    क्षुद्रग्रह खगोलीय पिंड होते हैं, जो ब्रह्माण्ड में विचरण करते रहते हैं। आकार में ग्रहों से छोटे, लेकिन उल्का पिंडों से बड़े होते हैं। पहले क्षुद्रग्रह सेरेस को 1819 में खोजा गया था।

    क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से खनिज व चट्टान से बना होता है। क्षुद्रग्रह हमारे सौरमंडल का एक हिस्सा है, जो मंगल व बृहस्पति ग्रहों की कक्षाओं के बीच स्थित होते हैं। हजारों-लाखों क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं।

    comedy show banner
    comedy show banner