पहले शौकीन... फिर अपराधी! चिट्टे ने बर्बाद की हिमाचल की राजधानी शिमला, एक-एक डोज के लिए बढ़ने लगा क्राइम
हिमाचल प्रदेश में चिट्टे ने टेंशन बढ़ा दी है। खासकर बात अगर राजधानी शिमला की हो तो परेशान होना लाजमी भी है। यहां 10 में से आठ परिवारों में कोई न कोई सदस्य चिट्टा लेने का आदी है। कई परिवारों ने तो इसे पारिवारिक धंधा ही बना लिया है। दैनिक जागरण की धंसता हिमाचल सीरीज में आप रोजाना नई स्टोरी के साथ-साथ डाटा बेस्ड आर्टिकल पढ़ेंगे।

रोहित शर्मा, शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में चिट्टे के दलदल में युवा धंसते जा रहे हैं। 1502 परिवारों का कोई न कोई सदस्य चिट्टे का आदी है। कई परिवार ऐसे हैं, जिनमें एक से अधिक लोग चिट्टे का सेवन कर रहे हैं तो कई परिवारों ने चिट्टे के कारोबार को पारिवारिक धंधा बना लिया है।
पुलिस अधिकारियों की मानें तो चिट्टे का सेवन युवा पहले तो शौक के लिए करते हैं, लेकिन बाद में वे इसके आदी हो जाते हैं। चिट्टे की एक डोज के लिए युवा चोरी की घटनाओं को भी अंजाम देते हैं। कई बार तो चिट्टे के आदी युवा अपने ही घरों में चोरी कर रहे हैं। जिले में कई बार चिट्टे के आदी युवाओं की ओर से अपने ही घरों से गहने व नकदी चुराने के मामले सामने आए हैं।
चिट्टे ने हंसता-खेलता परिवार किया बर्बाद
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ज्यादातर युवा चिट्टे का सेवन या तो मानसिक तनाव या फिर साथियों के दबाव में आकर आरंभ करते हैं। बाद में चिट्टे की लत के बाद तस्करी में संलिप्त हो जाते हैं। इससे जिले में कई हंसते-खेलते परिवारों की खुशियां गम में बदल चुकी हैं।

इन परिवारों के लिए चिट्टे की लत के शिकार युवाओं को सामाजिक जीवन में दोबारा लाना चुनौती बन गया है। कई युवा जहां चिट्टे के कारण जेल में हैं, तो कई युवा नशा निवारण केंद्रों में हैं। इसके बावजूद चिट्टे की लत से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। जिला में लगभग आठ से 10 परिवारों में चिट्टे का सेवन करने वालों की संख्या एक से ज्यादा है। हालांकि, तीन वर्षों में आधिकारिक तौर पर जिले में चिट्टे के सेवन से कोई मौत नहीं हुई है।
युवतियां भी चिट्टे की आदी
शिमला में न सिर्फ युवक बल्कि युवतियां भी चिट्टे की आदी हैं। जिले में शिमला पुलिस ने कई मामलों में युवतियों को भी गिरफ्तार किया है। नशे की तस्करी करने वाले शाही महात्मा गिरोह में भी कई युवतियां शामिल थीं। इसके अलावा फिरोजपुर का एक सप्लायर भी जिले में युवतियों के माध्यम से जिले में चिट्टे की सप्लाई करवाता था। शिमला जिला में करीब 35 महिलाएं दो वर्षों में चिट्टे के साथ पकड़ी गई हैं।
चिट्टे की लत से अधूरी रह गई डिग्री
शिमला जिले के कोटखाई क्षेत्र से 2022 में एक परिवार से एक युवक को चंडीगढ़ पढ़ाई के लिए भेजा गया था। युवक के माता-पिता सरकारी क्षेत्र में नौकरी करते हैं। परिवार ने बच्चे की पढ़ाई के लिए जीवनभर की पूंजी लगा दी। दो वर्ष के बाद जब बेटा चंडीगढ़ से लौटा तो वह चिट्टे का आदी हो चुका था। बाद में पता चला कि युवक ने अपनी डिग्री चिट्टे की लत के कारण अधूरी ही छोड़ दी थी। जिले में इस तरह के कई मामले हैं।
कई परिवारों ने बनाया पारिवारिक धंधा जिले में कई परिवारों ने चिट्टे की तस्करी को पारिवारिक धंधा बना लिया है। यह परिवार चिट्टे का सेवन करते हुए तस्करी भी करते हैं। पिछले वर्ष शिमला में एक ही परिवार के चार लोगों को पुलिस ने चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया था। ये लोग शिमला के डाउनडेल में रहते थे। इसमें पति-पत्नी दोनों चिट्टे का सेवन करते थे। अन्य सदस्य भी चिट्टे का सेवन करते थे।
आप भी बने सहभागी
चिट्टे के विरुद्ध इस अभियान में आप भी सहयोगी बन सकते हैं। आप क्या सोचते हैं,क्या आप कोई संदेश देना चाहते हैं... तो हमें बताएं। 150 शब्दों में अपनी बात लिखें और निम्न वाट्सएप पर भेजे। 8429020615,8429020616,9418042047

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