'कौन हैं चंद्रधर गुलेरी', नहीं जानते युवा
चंद्रधर शर्मा गुलेरी का साहित्य के क्षेत्र में योगदान भुलाया नहीं जा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, शिमला : चंद्रधर शर्मा गुलेरी का साहित्य के क्षेत्र में योगदान भुलाया नहीं जा सकता। फिर भी आज के कुछ युवा या तो उन्हें जानते ही नहीं या बहुत कम जानते हैं। कुछ ने कहा कि स्नातकोत्तर में जो सिलेबस में है उसे ही पढ़ने का समय लगता है अन्य का नहीं।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी कांगड़ा के गुलेर गांव के रहने वाले थे। 39 साल की आयु में काफी कुछ हासिल करने के बाद संसार को त्याग दिया था। इसके बावजूद आज तक उनकी लिखी कहानियां बच्चों से लेकर बड़ों के लिए मिसाल बनी हैं। आधुनिकता के युग में जहां पैसे की दौड़ लगी है, वहीं पाठ्यक्रम की किताबों से बच्चे बाहर नहीं आ पाते हैं। सोमवार को जब इनके बारे में पूछा गया तो अधिकतर के पास जवाब के नाम पर कुछ नहीं था। जब कुछ बताया तो कुछ ने अपने आप को बचाने के लिए कह दिया कि जानते हैं, लेकिन पढ़ा नहीं हैं।
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चंद्रधर शर्मा गुलेरी के बारे में पढ़ा नहीं, लेकिन स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में जो लिखा होता है, उसे ही पढ़ने का समय लगता है, इसमें ज्यादा समय लग जाता है। इसके अलावा अन्य को पढ़ने का समय नहीं लगता। किसी साहित्यकार को पढ़ने का ज्यादा समय नहीं लगता। नंबरों की दौड़ में साहित्य को पढ़ना गैर जरूरी ही मानता हूं।
-अमित ठाकुर, संजौली कालेज
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एमए हिंदी के पाठ्यक्रम में शामिल कहानियां व कविताएं तो पढ़ लेते हैं, ये कहानियां किसने लिखी हैं इस ओर ध्यान नहीं जाता। कौन सा साहित्यकार ज्यादा प्रख्यात है, इस बारे में ध्यान देने का समय नहीं लगता है। अंकों की दौड़ में पाठ्यक्रम के अलावा कुछ और पढ़ने का समय नहीं रहता है।
-मुस्कान, आरकेएमवी कालेज
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पाठ्यक्रम के अलावा न्यूज पेपर तो पढ़ लेते हैं, लेकिन इसके अलावा कुछ भी पढ़ने का समय नहीं लगता है। देश में साहित्य के क्षेत्र में हिमाचल के लोगों ने बेहतर काम किया है। उन्हें देश ही नहीं बल्कि दुनिया में याद किया जाता है।
-अंजली ठाकुर, आरकेएमवी कालेज
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चंद्रधर शर्मा गुलेरी के बारे में पढ़ने का मन तो है, लेकिन समय पाठ्यक्रम में ही अधिक लग जाता है। घर में साहित्य की बात होती है तो इनका नाम लिया जाता है। हिदी शिक्षक से सुना है कि केवल दस वर्ष की आयु में ही संस्कृत में भाषण देकर धर्म महामंडल के विद्वानों को आश्चर्यचकित कर दिया था।
-शिक्षा वर्मा, आरकेएमवी कालेज
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चंद्रधर शर्मा की पहली कहानी 1915 में प्रकाशित हुई थी। इनकी कहानी का नाम 'उसने कहा था' बहुत लोगों ने पसंद की गई थी। इनको जयपुर में स्थित जंतर-मंतर में सराहनीय प्रयासों के लिए भी जाना जाता है। हिदी साहित्य में इनका योगदान अविस्मरणीय है। भले ही यह हिमाचल में रहे, लेकिन इनका जन्मस्थान राजस्थान के जयपुर में था।
-शिवानी, आरकेएमवी कालेज

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