हिमाचल: पांवटा साहिब में दिन-रात JCB का कहर, यमुना में अनियंत्रित खनन ने बजाई खतरे की घंटी
हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में यमुना नदी में जेसीबी से अनियंत्रित खनन हो रहा है, जिससे स्थानीय लोग आक्रोशित हैं। नदी के किनारे कटाव से घरों को खतरा है और प्रशासन की निष्क्रियता से खनन माफिया के हौसले बुलंद हैं। अनियंत्रित खनन से यमुना नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान पहुंच रहा है।

यमुना में अनियंत्रित खनन से बढ़ रहा संकट (फोटो: जागरण)
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला। यमुना और उसकी सहायक नदियों में अनियंत्रित खनन पर्यावरणीय चिंता का विषय बन गया है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पांवटा साहिब क्षेत्र में स्थिति इतनी गंभीर होती जा रही है कि दिन-रात नदी के तल पर पोकलेन, बैकहो लोडर और भारी ट्राले-ट्रक निर्बाध रूप से उतर रहे हैं।
नदी के प्राकृतिक बहाव को बदलते हुए ये मशीनें गहरे गड्ढे बना रही हैं, जिससे भू-जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। मानसून के दौरान यह असंतुलन पुलों, सड़कों और आबादी वाले क्षेत्रों पर बाढ़ का बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकता है।
हिमाचल प्रदेश की 2024 खनिज नीति में नदी तट से पांच मीटर के भीतर खनन पर रोक, खनन की अधिकतम गहराई दो मीटर तक सीमित रखने और भारी मशीनरी के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध के प्रविधान किए हैं।
नदी के प्राकृतिक स्वरूप और प्रवाह को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने विभागों को कड़ी निगरानी के निर्देश भी जारी किए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर ये नियम कई स्थानों पर दिखाई नहीं दे रहे।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि राजनीतिक संरक्षण और विभागों की मिलीभगत के कारण खनन माफिया बेखौफ है। पांवटा साहिब और आसपास के क्षेत्रों में न तो नियमित गश्त होती है और न ही अवैध गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई।
हरियाणा और उत्तराखंड से आने वाले ओवरलोड वाहन स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं। लगातार रेत-बजरी निकालने से किनारों का कटाव इतना बढ़ गया है कि कई स्थानों पर खेत और रिहायशी क्षेत्र जोखिम में आ गए हैं।
हरियाणा में तो अवैध खनन ने यमुना और मारकंडा नदी के प्रवाह तक को बदल दिया है। इससे न सिर्फ प्रदूषण का स्तर बढ़ा है, बल्कि ओवरलोड ट्रकों की संख्या में वृद्धि से सड़क हादसे भी आम हो गए हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के बावजूद कार्रवाई सीमित है। पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों के अनुसार विभागों की यह लापरवाही आने वाले वर्षों में बड़ी प्राकृतिक आपदा को जन्म दे सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते कड़ी निगरानी, मशीनरी पर पूर्ण रोक, अवैध वाहनों की जब्ती और स्थानीय लोगों की सहभागिता ही इस संकट से यमुना को बचा सकती है।

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