हिमाचल में क्यों फट रहे बादल, आपदा का क्या है निदान? दिल्ली में अमित शाह को रिपोर्ट सौंपेगी केंद्रीय टीम
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और प्राकृतिक आपदाओं के कारणों की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपी जाएगी। टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और डेटा एकत्र किया। 2018 से अब तक 148 बादल फटने की घटनाएं हुई हैं। जलवायु परिवर्तन और अवैज्ञानिक निर्माण नुकसान के प्रमुख कारण हैं। टीम में विभिन्न वैज्ञानिक और प्रोफेसर शामिल हैं।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश में बादल क्याों फट रहे हैं और प्राकृतिक आपदा लगातार आने के क्या कारण है और इसका क्या निदान क्या हो सकता है जिससे आपदा से होने वाले नुकसान कम हो सके इसकी रिपोर्ट बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम (एमएससीटी) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को नई दिल्ली में सौंपेगी।
ये टीम प्रदेश से सभी प्रकार के डाटा और जानकारियों को जुटाकर शनिवार को सुबह दस बजे दिल्ली के लिए रवाना हाे गई। इस दौरान केंद्रीय टीम ने मंडी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद शिमला में भरतीय मौसम विज्ञान केंद्र के अधिकारियों और केंद्रीय जल आयोग से नदियों और बांधों जल स्तर के अलावा बाढ़ आदि से संबंधित जानकारियों को जुटाई और शनिवार सुबह दस बजे दिल्ली रवाना हो गए।
प्रदेश में 2018 से लेकर अब तक 148 बादल फटने की घटनाएं हुई हैं और पांच हजार से अधिक भू-स्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं। जिला कुल्लू, लाहौल-स्पीति, किन्नौर व जिला मंडी को प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अति संवेदनशील बताया जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण प्रदेश में अचानक बाढ़ आना, बादल फटना तथा भू-स्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। ग्लेशियर सिकुड रहे हैं तापमान में वृद्धि हुई है। जो बीत 60 वर्षों के दौरान 0.9 डिग्री बताई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार नुकसान का प्रमुख कारण प्राकृतिक आपदा के अलावा अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण और मलबे की डंपिंग भी है।
केंद्रीय टीम में कौन-कौन
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम (एमएससीटी) टीम लीडर कर्नल केपी सिंह, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (रुड़की) के मुख्य वैज्ञानिक डा एसके नेगी, मणिपुर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त भू वैज्ञानिक प्रो अरुण कुमार, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (पुणे) की रिसर्च साइंटिस्ट डा. सुस्मिता जोसफ और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर की सिविल इंजीनियरिंग प्रो. डा. नीलिमा सत्यम शामिल हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।