Move to Jagran APP

प्रथम विश्वयुद्ध के लड़ाकू विमानों से होगी हिमाचल के पहाड़ों की सैर

प्रथम विश्वयुद्ध के लड़ाकू विमानों से अब पहाड़ों में पर्यटकों को सैर करवाने की तैयारी चल रही है।

By Edited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 07:48 PM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 09:28 AM (IST)
प्रथम विश्वयुद्ध के लड़ाकू विमानों से होगी हिमाचल के पहाड़ों की सैर
प्रथम विश्वयुद्ध के लड़ाकू विमानों से होगी हिमाचल के पहाड़ों की सैर

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। पहले विश्वयुद्ध में बम बरसाने वाले छोटे लड़ाकू विमान अब फ्लाइंग क्लबों का हिस्सा बनकर रह गए हैं। लेकिन पिस्टन इंजन तकनीक से चलने वाले ऐसे जहाजों में हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में पर्यटकों को सैर करवाने की तैयारी चल रही है। प्रदेश सरकार इस संबंध में चंडीगढ़ की कंपनी के साथ करार करने जा रही है। करार से संबंधित औपचारिकताएं अंतिम दौर में हैं।

loksabha election banner

वायुसेना से जुड़े अधिकारी ने पिस्टन इंजन वाले नौ सीटर विमानों को यात्री विमान बनाने की मुहिम चलाई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय में इसके पैसेंजर विमान के तौर पर लाइसेंस आवेदन पर मुहर लगते ही हिमाचल के पहाड़ों पर पर्यटक सस्ती टिकट पर सैर सपाटा करते नजर आएंगे। छोटा विमान होने के कारण टिकट दर ढाई हजार रुपये तक रहेगी।

हेली टैक्सी सेवा के तहत प्रति टिकट मूल्य तीन हजार रुपये पहुंच गया है। इस संबंध में प्रदेश पर्यटन विभाग के साथ कई चरण की आधिकारिक बैठकें हो चुकी हैं। हेली टैक्सी के लिए दो महीने की एडवांस बुकिंग प्रदेश सरकार ने इस वर्ष हेली टैक्सी सेवा शुरू की थी। इसके तहत चंडीगढ़ से शिमला के लिए सप्ताह में दो बार हेलीकॉप्टर की उड़ान होती है। प्रदेश सरकार का हेलीकॉप्टर इस योजना के लिए इस्तेमाल हो रहा है। हेली टैक्सी सेवा के संबंध में देश-विदेश के पर्यटकों के उत्साह का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि दो महीने की एडवांस बुकिंग चल रही है। लेकिन पवन हंस हेलीकॉप्टर कंपनी ने उड़ान योजना के तहत सेवा देने से हाथ पीछे खींच लिया है।

केंद्र सरकार ने पवन हंस को उड़ान योजना द्वितीय चरण के लिए अधिकृत किया था। छोटा रनवे चाहिए पिस्टन इंजन वाले विमान को उड़ान भरने व उतरने के लिए छोटा रनवे चाहिए। इसके लिए महज 600 से 700 मीटर का रनवे होना चाहिए। प्रदेश के तीनों हवाई अड्डों की पट्टियां 1200 से 1500 मीटर रनवे की हैं। देश में जो हवाई जहाज इस्तेमाल हो रहे हैं, उनमें से केवल 40 सीटों वाले विमान ही यहां की हवाई पट्टियों पर आसानी से उड़ सकते हैं।

पिस्टन इंजन वाले विमान देश के अधिकांश फ्लाइंग क्लबों में इस्तेमाल होते हैं। इन विमानों से हवाई उड़ान का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों को प्रशिक्षित किया जाता है। इस समय हवाई जहाजों में तीन प्रकार के इंजन टर्बोजेट, टर्बोफैन व टर्बोप्रॉप इस्तेमाल हो रहे हैं। पिस्टन इंजन प्रणाली शुरुआती दौर की है। अगले वर्ष मार्च-अप्रैल तक पिस्टन इंजन वाले विमान पर्यटकों को सैर करवाते नजर आएंगे। चंडीगढ़ की कंपनी के साथ सरकार औपचारिकताएं पूरी कर रही है।

नौ सीटर विमान को लाइसेंस मिलने का इंतजार है। संभवत: प्रदेश के पहाड़ी राज्यों के लिए पिस्टन इंजन आधारित हवाई सेवा उपयुक्त रहेगी।

-राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यटन)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.