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    हिमाचल के लिए 23 सितंबर को बड़ा फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट, सात साल में 434 आपदाओं में गई 123 लोगों की जान

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 11:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बिगड़ते पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय हालात पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि यह समस्या केवल हिमाचल तक सीमित नहीं है बल्कि पूरा हिमालयी क्षेत्र इसकी चपेट में है। अदालत 23 सितंबर को इस मामले में आदेश पारित करेगी। एमिकस क्यूरी ने राज्य की रिपोर्ट को अपर्याप्त बताया है जिसमें ग्लेशियरों के पिघलने और आपदाओं का उल्लेख है।

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    हिमाचल के लिए 23 सितंबर को बड़ा फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट। फाइल फोटो

    पीटीआई, नई दिल्ली/शिमला। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में बिगड़ते बिगड़ते पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय हालात केवल एक प्रदेश तक सीमित रहनेवाले नहीं है, बल्कि समूचा हिमालयी क्षेत्र इसकी चपेट में आने को तैयार बैठा है और बेहद आक्रामक दौर से गुजर रहा है।

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    हिमाचल प्रदेश में आपदा के मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश के हालात पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 23 सितंबर को आदेश पारित करेगी।

    सुनवाई के दौरान, हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता और अतिरिकत महाधिवक्ता ने इस मामले में राज्य की तरफ से दायर रिपोर्ट के बारे में भी पीठ को जानकारी दी। पीठ ने कहा कि हम सारी चीजों का निचोड़ निकालकर आपको एक संक्षिप्त आदेश देंगे ताकि आपको सटीक निर्देश मिल सकें।

    इस मामले में कोर्ट का सहयोग कर रहे एमिकस क्यूरी वरिष्ठ वकील के परमेश्वर ने कहा कि राज्य की तरफ से दी गई रिपोर्ट में पेड़ों की संख्या, ग्लेशियर, खनन पहलुओं आदि को शामिल किया गया है, लेकिन कुछ भी खास बात नहीं कही गई है।

    उन्होंने कहा कि राज्य की तरफ से बताया गया था कि ग्लेशियर घट रहे हैं और ग्लेशियर की गतिविधि तेज हो रही है, लेकिन उनका इस रिपोर्ट में जिक्र नहीं है। रिपोर्ट में केवल वादा किया गया है कि एक समिति इन सभी मामलों को देखेगी।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 से 2025 के बीच प्रदेश में बादल फटने जैसी 434 भयानक आपदाएं दर्ज की गई हैं। इनमें 123 लोगों की मौत हुई और व्यापक संपत्ति हानि हुई। 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने कहा था कि मौसमी आपदा के चलते प्रदेश का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।