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    विदेश में पढ़ाई और हिमाचल आकर लगाया उद्योग, 1 करोड़ सालाना टर्न ओवर; भांग से बना रहे 10 तरह के औषधीय उत्पाद

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 05:47 PM (IST)

    कांगड़ा के रोहित चौहान ने विदेश से भांग में डिग्री हासिल कर हिमाचल में कैनरमा नाम से कंपनी शुरू की। भांग की खेती कानूनी न होने पर भी उन्होंने दर्द निवारक दवाइयां बनाईं और 1 करोड़ का टर्नओवर किया। अब युगांडा में भी खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि कानूनी मान्यता मिलने से हिमाचल में रोजगार बढ़ेगा।

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    विदेश में पढ़ाई के बाद हिमाचल में लगाया उद्योग। फोटो जागरण

    अनिल ठाकुर, शिमला। कांगड़ा जिला के फतेहपुर निवासी रोहित चौहान विदेश में पढ़ाई कर अपनी स्नातकोत्तर डिग्री (मास्टर इन कैनाबिस प्लांट) प्राप्त की। कई सालों तक शोध कार्य व इस क्षेत्र में नौकरी करने के बाद वर्ष 2020 में वापिस हिमाचल लौटे।

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    मन में पहले से ठान रखा था कि हिमाचल में इसी क्षेत्र में काम करना है। हिमाचल में भांग की खेती को कानूनी मान्यता नहीं है। बावजूद इसके वह विदेश से लौटे और उद्योग स्थापित करने का निर्णय लिया।

    वर्ष 2021 में आर्युवेद विभाग से इसके लिए लाइसेंस प्राप्त कर अन्य औपचारिकताएं पूरी कर फतेहपुर में उद्योग स्थापित किया। कैनरमा नाम से अपनी कंपनी बनाई और उद्योग भी लगाया। इनकेयर लैब नाम से इनका उद्योग स्थापित है।

    10 लोग कर रहे साथ काम

    अभी 10 लोग इनके साथ काम कर रहे हैं। इनकी कंपनी 10 तरह की दवाइयां जिनमें पेन रिलीफ बाम, पेन रिलीफ रोल आन, पेन रिलीफ मसाज आयल, त्रैलोक्य विजयवती सहित कुछ अन्य उत्पाद बनाते हैं।

    उनकी कंपनी 5 सालों में ही 1 करोड़ के वार्षिक टर्न ओवर कमाने वाली बन गई है। अमेजॉन, फ्लिपकार्ट में टॉप-5 कंपनियों में भी इनकी कंपनी शामिल हो चुकी है।

    उन्होंने बताया कि शुरुआत में काफी संघर्ष किया। अब उन्होंने युगांडा में 70 एकड़ जमीन ली है। वहां पर वह भांग की खेती कर रहे हैं। एक साल में इससे उन्होंने 90 लाख की कमाई की है।

    उनका कहना है कि हिमाचल में जो भांग होती है उसके औषधीय गुण ज्यादा है और अन्य देशों के मुकाबले अच्छी गुणवत्ता की है। सरकार यदि यहां पर इसे कानूनी मान्यता देती है तो हिमाचल के हजारों लोगों के लिए रोजगार का यह नया विकल्प होगा।

    वहीं, इसके जो उत्पाद तैयार हो रहे हैं उनकी कीमत भी घट जाएगी, क्योंकि जब माल सस्ता होगा तो कीमत कम होगी। उनकी कंपनी जो दर्द के लिए तेल बनाती है उसे क्रिकेटर सुरेश रैना भी खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि स्टार्टअप इंडिया के तहत 20 लाख की ग्रांट भारत सरकार से मिली।

    हिमाचल सरकार ने प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए मदद की-30 लाख का लोन उन्हें सरकार से मिला जिसमें 33 प्रतिशत का अनुदान था। उनकी कंपनी भांग से दस तरह के औषधीय उत्पाद तैयार कर रही है। शुक्रवार को गेयटी थिएटर शिमला में आयोजित कार्यशाला व प्रदर्शनी में ये भाग लेने पहुंचे थे।

    जड़ से धड़ तक मुनाफा देता है भांग का पौधा

    गेयटी थिएटर में प्रदर्शनी में पहुंचे इंडियन हेंप स्टोर के सीईओ सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा कि भांग के पौधे में कई औषधीय गुण छिपे हैं। भांग का पौधा जड़ से धड़ तक मुनाफा देता है।

    यानी भांग के पौधे की पत्तियां, बीज, फूल, जड़े सभी के अपने गुण है। करीब 25 हजार उत्पाद इसके बन सकते हैं। इससे एक अनुमान के अनुसार विश्व में मौजूदा समय में भांग का आठ बिलियन डॉलर का उद्योग है।

    भारत जो विश्व का छठा सबसे ज्यादा भांग उत्पादक राज्य है वहां केवल 500 करोड़ का ही उद्योग स्थापित हो पाया है। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी भांग से उत्पाद तैयार करने वाली कंपनियों को बाजार उपलब्ध करवाने का कार्य करते हैं। 100 से ज्यादा कंपनियां उनके साथ कार्य कर रही है।

    वे आईआईटी रोड़प के साथ मिलकर शोध कार्य भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि हिमाचल में इसकी खेती को कानूनी मान्यता मिलती है तो युवाओं को रोजगार के लिए यह एक नया विकल्प होगा।

    एआई आने के बाद रोजगार वैसे भी कम हो रहे हैं। इसकी खेती 1 साल में चार बार हो सकती है। उनकी कंपनी युवाओं को प्रशिक्षण भी देती है जो इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं।