शिपकी ला से भारत-तिब्बत व्यापार को मिलेगी रफ्तार, पशमीना सहित अन्य खास उत्पादों का होगा निर्यात; 1962 के बाद बदल गए थे हालात
शिपकी ला दर्रे से भारत और तिब्बत के बीच व्यापार को गति मिलेगी। 1962 के युद्ध के बाद व्यापार बंद हो गया था, जिससे कई उत्पादों का निर्यात प्रभावित हुआ। ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर में स्थित शिपकी ला, इस पहाड़ी के दूसरी तरफ तिब्बत है।
राज्य ब्यूरो, शिमला। किन्नौर जिले में शिपकी ला के रास्ते एक बार फिर सदियों पुराने भारत-तिब्बत व्यापार को नई रफ्तार मिलने जा रही है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के प्रयास के बाद केंद्र सरकार ने शिपकी ला दर्रे से चीन अधिकृत तिब्बत के साथ कारोबार को औपचारिक मंजूरी दे दी है। जून से इस ऐतिहासिक मार्ग के जरिए सीमित दायरे में व्यापार शुरू होने की संभावना है।
तिब्बत से आएंगे पशमीना, ऊन व अन्य उत्पाद
शिपकी ला के खुलने से जनजातीय जिला किन्नौर के साथ प्रदेश के अन्य हिस्सों के कारोबारियों को भी सीधा लाभ मिलेगा। सरकार द्वारा चिह्नित वस्तुओं का निर्यात तिब्बत तक किया जा सकेगा, जबकि वहां से पशमीना, ऊन और अन्य पारंपरिक उत्पाद हिमाचल लाए जा सकेंगे।
पंजीकृत व्यापारी ही कर सकेंगे कारोबार
पंजीकृत व्यापारी ही तय सूची के तहत व्यापार कर सकेंगे। इसके लिए किन्नौर जिला प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था और व्यापारियों के पंजीकरण से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।
1962 के युद्ध से पहले होता था बड़े स्तर पर व्यापार
शिपकी ला दर्रा भारत और तिब्बत के बीच ऐतिहासिक व्यापार मार्ग रहा है, जो सतलुज नदी के साथ जुड़ा है। 1962 के युद्ध से पहले इस रास्ते से ऊन, मसाले, अनाज, धातु के औजार और स्थानीय हस्तशिल्प का बड़े पैमाने पर आदान-प्रदान होता था। युद्ध के बाद यह मार्ग वर्षों तक बंद रहा।
2020 में कोरोना काल में फिर बंद हुआ
बाद में भारत-चीन के बीच विश्वास बहाली के प्रयासों के तहत व्यापार शुरू हुआ, लेकिन 2020 में कोरोना काल के दौरान इसे फिर से बंद कर दिया। अब 2024-25 में इसे दोबारा खोलने की दिशा में पहल हुई है, जिसे सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को पुनर्जीवित करने का प्रतीक माना जा रहा है।
कैलास मानसरोवर यात्रा की उम्मीद जगी
शिपकी ला मार्ग से कैलास मानसरोवर यात्रा शुरू होने की भी उम्मीद बढ़ी है। मुख्यमंत्री सुक्खू इस दिशा में प्रयासरत हैं। यात्रा शुरू होने से किन्नौर जिले में पर्यटन को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। शिपकी ला मार्ग से कैलास मानसरोवर की यात्रा दिल्ली मार्ग की तुलना में 14 दिन कम समय में पूरी हो सकती है।
कम वर्षा के कारण अधिकांश समय खुला रह सकता है मार्ग
किन्नौर क्षेत्र वर्षा छाया क्षेत्र में होने के कारण मानसून से कम प्रभावित रहता है, जिससे यह मार्ग साल के अधिकांश समय खुला रह सकता है। रामपुर और पूह से शिपकी ला तक सड़क संपर्क पहले से मौजूद है, जिससे इस मार्ग को यात्रा के लिए आसानी से एकीकृत किया जा सकता है। यह प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक गलियारा हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी विशेष महत्व रखता है।

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