शिमला ट्रैफिक पर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, रोपवे और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर क्या हुआ?
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि शिमला शहर को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने के लिए एक साल पहले कोर्ट के समक्ष रखे प्रस्तावों का क्या ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि शिमला शहर को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने के लिए एक साल पहले कोर्ट के समक्ष रखे प्रस्तावों का क्या हुआ। पहली दिसंबर 2024 को कोर्ट के समक्ष तत्कालीन मुख्य सचिव ने शिमला शहर में रोपवे और मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न प्रस्ताव और दो सुरंग का निर्माण व चार स्थानों पर पार्किंग सुविधाओं के लिए प्रस्ताव रखे गए थे।
सुनवाई के दौरान बताया गया कि तत्कालीन मुख्य सचिव ने 28 दिसंबर 2024 को हाई कोर्ट के समक्ष एक कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल की थी। इसमें पार्किंग, सड़कों के सुधार, परिवहन संबंधी मुद्दों, प्रवर्तन तंत्र और शिमला शहर में भीड़भाड़ कम करने से संबंधित कार्रवाई करने के लिए समिति का गठन किया था।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने आदेश दिए कि मुख्य सचिव नया शपथ पत्र दायर करें, जिसमें यह बताया जाए कि तत्कालीन मुख्य सचिव द्वारा पहले दिए शपथ पत्र पर एक वर्ष में क्या प्रगति हुई है।
कोर्ट ने शिमला स्मार्ट सिटी लिमिटेड को उसके प्रबंध निदेशक-सह-सीईओ और हिमाचल प्रदेश रोपवे परिवहन निगम को उसके प्रबंध निदेशक के माध्यम से प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाने के आदेश भी दिए।
कोर्ट मित्र ने इस मामले में बताया था कि शिमला की सड़कों पर निजी और सरकारी खटारा गाड़ियां लंबे समय से खड़ी हैं। इससे आम जनता को ट्रैफिक जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है। सुझाव दिया था कि ऐसे वाहनों को तुरंत हटाया जाए।
कोर्ट को बताया कि शिमला में रोपवे निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित तो की गई हैं लेकिन इसके निर्माण को शुरू किए जाने की कोई जानकारी नहीं है। कोर्ट मित्र ने शिमला में बनने वाली तीन सुरंग पर भी सवालिया निशान उठाया।
कोर्ट को बताया कि देश-विदेश में मशहूर शिमला शहर के लिए वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और कई विदेशी कंपनियां वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। लेकिन इन सुरंग को बनाने का प्रस्ताव पता नहीं कहां गुम हो गया है। इसके अलावा मोनो रेल और मल्टीलेयर रोड बनाने का सुझाव भी दिया गया था।

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