दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रोपवे प्रोजेक्ट में देरी, 2700 करोड़ पहुंची लागत; एक बार में दो हजार लोग कर सकेंगे यात्रा
शिमला में प्रस्तावित विश्व के दूसरे सबसे लंबे रोपवे की लागत में वृद्धि हुई है। हिमाचल प्रदेश रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आरटीडीसी) पिछले चार वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना में देरी के कारण अनुमानित लागत 1734.40 करोड़ से बढ़कर 2700 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।

अनिल ठाकुर, शिमला। राजधानी शिमला में प्रस्तावित विश्व के दूसरे और एशिया के सबसे लंबे रोपवे यानी रज्जू मार्ग की लागत बढ़ गई है। पिछले चार वर्ष से हिमाचल प्रदेश रोपवे ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आरटीडीसी) इस पर काम कर रहा है।
औपचारिकता पूरी कर कंपनी का चयन भी कर लिया गया है, लेकिन परियोजना में देरी के कारण लागत बहुत अधिक बढ़ गई है। पहले इसकी अनुमानित लागत 1734.40 करोड़ थी, जो अब 2700 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। रोपवे कॉरपोरेशन अब चयनित कंपनी के साथ बातचीत कर रहा है ताकि हल निकल सके।
मंगलवार को भी कॉरपोरेशन के अधिकारियों की कंपनी के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई। चार वर्ष में महंगाई बढ़ने से लागत बढ़ी है। यदि बात नहीं बनी तो नए सिरे से टेंडर भी हो सकता है।
यदि ऐसा होता है तो परियोजना बनाने में फिर देरी होगी। न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) से वित्त पोषित इस प्रोजेक्ट पर 20 प्रतिशत बजट प्रदेश सरकार खर्च करेगी।
एक घंटे में 2,000 लोग कर सकेंगे यात्रा
इस रोपवे से एक घंटे में दो हजार लोग इससे सफर कर सकेंगे। एक तरफ से एक हजार लोगों की आवाजाही शुरुआती तौर पर रहेगी। दोनों तरफ से दो हजार लोग एक घंटे में सफर कर पाएंगे। इस प्रोजेक्ट को हरित ऊर्जा के लिए जोड़ा जाएगा। जहां स्टेशन स्थापित होंगे वहां भी सोलर पैनल लगेंगे।
इसके साथ ही ट्राली (केबिन जिसमें यात्री सफर करेंगे) पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे ताकि अधिक से अधिक ऊर्जा का प्रयोग किया जा सके।
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