शिमला में ठेकेदार की सिफारिश पर हुआ प्रोजेक्ट डायरेक्टर का तबादला रद, हाई कोर्ट ने कही ये बात
शिमला में ठेकेदार की सिफारिश पर हुए प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तबादले को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इस तबादले को नियमों के खिलाफ बताया है। याच ...और पढ़ें

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (जागरण फोटो)
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल हाई कोर्ट ने ठेकेदार की सिफारिश पर हिम ऊर्जा कांगड़ा स्थित धर्मशाला में तैनात वरिष्ठ प्रोजेक्ट निदेशक के चंबा के लिए किए तबादला आदेश को रद कर दिया है। 15 नवंबर को किए तबादला आदेश को खारिज करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने कहा कि मैसर्स हिमालयन टेक्नो गवर्नमेंट कांट्रेक्टर के प्रोपराइटर/अधिकृत प्रतिनिधि सौरभ कटोच न तो लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि हैं और न ही विभाग में कोई अधिकारी हैं।
हैरानी की बात है कि उन्होंने याचिकाकर्ता रमेश कुमार ठाकुर के तबादले के लिए सिफारिश की, जिसे प्रतिवादी विभाग ने स्वीकार भी कर लिया। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के साथ हाई कोर्ट की खंडपीठ और एकलपीठ ने भी ऐसे व्यक्ति द्वारा दी लिखित सिफारिश के आधार पर तबादला करने की प्रथा की निंदा की है,
जिसका विभाग के मामलों से कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अपने कर्मचारियों का तबादला करना नियोक्ता का विशेषाधिकार है परंतु किसी प्रोजेक्ट के एक अवॉर्ड पाने वाले व्यक्ति द्वारा भेजे पत्राचार के आधार पर तबादला आदेश को रद किया जाना चाहिए।
जो न तो कोई संवैधानिक प्राधिकरण है और न ही कोई सार्वजनिक प्रतिनिधि है और न ही हिम ऊर्जा के कामकाज से उसका कोई संबंध है। याचिकाकर्ता का कांगड़ा से हिम ऊर्जा कार्यालय चंबा तबादला किया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि तबादला मुख्यमंत्री के कार्यालय से 15 नवंबर 2025 को जारी नोट के आधार पर किया गया है, जो मैसर्ज हिमालयन टेक्नो गवर्नमेंट कांट्रेक्टर के मालिक के कहने पर किया गया था।
याचिकाकर्ता का कहना था कि ठेकेदार को 500 किलोवाट क्षमता वाले सोलर पावर प्रोजेक्ट्स के डिजाइन, इंजीनियरिंग, सप्लाई और कमीशनिंग का काम दिया गया था। याचिकाकर्ता की दलील थी कि उक्त ठेकेदार ने संबंधित प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं किया और इसी वजह से उसने अपनी राजनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल किया।

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