Shimla News: हिमाचल में भांग की खेती के लिए बनेगी नीति, किया जा रहा वैध
हिमाचल प्रदेश में अब भांग की खेती वैध की जा रही है। राज्य सरकार ने इसे वैध घोषित कर दिया है। राज्य को वार्षिक 18 हजार करोड़ रुपये आय होगी। विधानसभा में भी कई बार चर्चा हो चुकी है। न्यायालय में भी जनहित याचिका दायर हुई थी।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में भांग की खेती के लिए नीति बनाई जाएगी। राज्य सरकार भांग की खेती को वैध करने जा रही, जिससे राज्य को वार्षिक 18 हजार करोड़ रुपये आय होगी। मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य में भांग की खेती को दर्जा दिलाने के प्रयास पहले से होते रहे हैं। विधानसभा में भी कई बार चर्चा हो चुकी है। न्यायालय में भी जनहित याचिका दायर हुई थी।
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वर्तमान सरकार की ओर से गंभीरतापूर्वक भांग की खेती को तर्कसंगत आधार प्रदान किया जा रहा है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब की तरह अन्य कई राज्य भी भांग की खेती के लिए नीति बनाने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भांग की खेती को औधौगिक उद्देश्य से वैध करने के लिए उच्च न्यायालय दो बार पूर्व सरकार को अंतरिम आदेश भी दे चुका है, लेकिन पूर्व सरकार ने कोई कदम नहीं बढ़ाया।
आय का साधन
राज्य में भांग की खेती को वैधता प्राप्त होने पर वार्षिक 18 हजार करोड़ रुपये का राजस्व आ सकता है। प्रदेश में अनुमानित 2400 एकड़ भूमि में भांग की संगठित अवैध खेती हो रही है। राज्य से प्रति वर्ष 960 करोड़ रुपये मूल्य की चरस की तस्करी होती है। इसे विदेश भी भेजा जाता है। परंपरागत रूप से गांजा पुराने हिमाचल के कुछ हिस्सों में उगाया जाता था, जिसमें शिमला, मंडी, कुल्लू, चंबा और सिरमौर शामिल थे।
यहां होता है उपयोग
भांग का प्रयोग कई तरह की दवा, कपड़ों, जैकेट व रेशा इत्यादि को बनाने के लिए किया जा सकता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की दवा भाग से बनती है। भांग के पौधे को औषधीय व हैंडलूम उत्पादों में उपयोग किया जा सकता है। इसके रेशे से टोकरियां, रस्सी व चप्पल बनाई जाती थीं। बीजों का उपयोग पारंपरिक खाना पकाने में किया जाता रहा है।
हरियाणा की तर्ज पर खेल नीति
हिमाचल सरकार हरियाणा की तर्ज पर खेल नीति बनाएगी, ताकि युवा नाम चमका सकें। युवा सेवाएं एवं खेल विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को खेल विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। सचिवालय में बैठक में विभागीय योजनाओं पर चर्चा की। अधिकारियों को निर्देश दिए कि हरियाणा की खेल नीति पर विचार करें।
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मंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली समीक्षा बैठक थी। उन्होंने कहा कि खेल के लिए आधारभूत ढांचा, इनाम राशि, खिलाड़ियों के लिए नौकरी में आरक्षण, डाइट मनी बढ़ाने जैसी चीजों पर चर्चा की। इनमें क्या बदलाव हो सकते हैं इस पर सुझाव मांगे। पूरे तथ्य अगली बैठक में पेश करने को कहा। विंटर ओलिंपिक के तहत स्कीइंग, माउंटेरिंग, स्नो बोर्डिंग, पैरा ग्लाइडिंग को भी बढ़ावा देने को कहा।
खेल कैलेंडर तैयार करने के निर्देश
विक्रमादित्य सिंह ने खेल विभाग को अगले वित्त वर्ष का खेल कैलेंडर तैयार करने के निर्देश दिए। कहा कि अगले वित वर्ष में स्पोर्ट्स के लिए अधिक बजट लाने का प्रयास किया जाएगा।