Shimla News: हिमाचल में चार निजी विवि के कुलपतियों की नियुक्तियों की होगी जांच, दस्तावेज किए गए तलब
हिमाचल में निजी क्षेत्र में चल रहे चार विश्व विद्यालय के कुलपतियों की नियुक्तियों (Appointments of Vice Chancellors of four private universities) की जांच शुरू हो गई है। हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग इन कुलपतियों की जांच कर रहा है। आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों से कुलपति की नियुक्ति से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए थे। इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

अनिल ठाकुर, शिमला। हिमाचल में निजी क्षेत्र में चल रहे 4 विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्तियों की जांच शुरू हो गई है। हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग इन कुलपतियों की जांच कर रहा है। आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों से कुलपति की नियुक्ति से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए थे। इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
जिन विवि के कुलपतियों की जांच चल रही है उनमें बहारा विश्वविद्यालय, आईईसी, सांई विवि, चित्कारा विश्वविद्यालय शामिल हैं। आयोग इसमें जांच रहा है कि जिन को कुलपति बनाया गया है क्या वे यूजीसी नियमों पर खरा उतरते हैं। उनकी शैक्षणिक योग्यता, अध्यापन अनुभव, रिसर्च, किन पदों पर पहले कार्यरत रहे हैं इन सभी चीजों की जांच की जा रही है। आयोग की मंजूरी के बाद ही इन कुलपतियों की नियुक्तियां वैध मानी जाएगी।
यूजीसी नियमों पर खरा न उतरे तो छोड़नी पड़ सकती है कुर्सी
हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के सदस्य डॉ. शशिकांत शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय में आचार्य, सह आचार्य व सहायक आचार्य से लेकर कुलपति की नियुक्ति के लिए नियम तय है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसके लिए नियम तय किए हैं। विश्वविद्यालय चाहे सरकारी क्षेत्र का हो या निजी क्षेत्र का इन नियमों के तहत ही नियुक्ति की जाती है। चार विश्वविद्यालयों में हाल ही में कुलपति की नियुक्ति की गई है। इनके दस्तावेज मंगवाए गए हैं। इसे जांचा जा रहा हैं। यदि नियुक्ति की प्रक्रिया में किसी भी तरह की अनियमितता पाई जाती है तो इन्हें पद से हटाने के आदेश जारी किए जाएंगे।
11 कुलपतियों ने छोड़ दिए थे पद
तीन साल पूर्व भी हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने कुलपति की नियुक्ति की जांच की थी। उस समय 16 में से 11 कुलपतियों को अपात्र बताकर इन्हें पद से हटा दिया गया था। इनमें कुछ आयू सीमा पूरी कर चुके थे तो कुछ के पास कुलपति बनने के लिए प्रर्याप्त अनुभव ही नहीं था। जिसके बाद उन्हें हटाया गया था। 3 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने आयोग के आदेशों को चुनौती दी थी, जिसके बाद उन्हें दोबारा तैनाती दी गई थी। आयोग के आदेश के बाद हटाए गए कुलपतियों की जगह निजी विश्वविद्यालयों में नई नियुक्तियां हुई थी। नियमों के तहत कुलपति की नियुक्ति के लिए पीएचडी, 10 साल तक पढ़ाने का अनुभव, रिसर्च पेपर प्रकाशित होने चाहिए।
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