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    शिमला की 265 पंचायतों में फैला नशे का जाल, NDPS मामलों के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजन; 145 रेड लिस्ट में

    By Jagran News Edited By: Rajesh Sharma
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 01:51 PM (IST)

    शिमला जिले की 265 पंचायतों में नशीले पदार्थों का कारोबार फैल गया है। NDPS एक्ट के तहत दर्ज मामलों के आधार पर पंचायतों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जिनमें से 145 'रेड लिस्ट' में हैं, जहाँ नशे का कारोबार सबसे अधिक है। पुलिस अन्य श्रेणियों में भी निगरानी रख रही है।

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    शिमला जिला की पंचायतों में नशे का जाल बुरी तरह से फैल गया है। प्रतीकात्मक फोटो

    रोहित शर्मा, शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला में नशे का जाल तेजी से फैल रहा है। जिला में कुल 412 पंचायतों में से 265 पंचायतों में नशे का जाल फैला हुआ है। इनमें से 145 पंचायतों में चिट्टा अपने पांव पसार चुका है, इन्हें रेड लिस्ट में रखा गया है।

    पुलिस ने एनडीपीएस के मामलों के आधार पर इन पंचायतों का विभाजन तीन श्रेणियों में किया है। इनमें लाल, पीली और हरी श्रेणी शामिल है। 

    लाल श्रेणी में ऐसी पंचायतें हैं, जिनमें चिट्टे के मामले दर्ज किए गए है। वहीं, चिट्टे को छोड़कर जिन पंचायतों में अन्य नशों के मामले हैं, इन पंचायतों को पीली श्रेणी में रखा गया है। इनमें कुल 120 पंचायतें शामिल हैं।

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    इसके अलावा जिन पंचायतें में नशे का कोई भी मामला नहीं है, उनमें 147 पंचायतें शामिल है। इन पंचायतों की मैपिंग के बाद अब इनमें नशे की रोकथाम के लिए काम किया जाना है।

    नशा निवारण समितियों का गठन होगा

    राज्य सरकार के आदेश अनुसार इन पंचायतों में नशे की रोकथाम के लिए नशा निवारण समितियों का गठन किया जाएगा। यह समितियां नशे की रोकथाम के लिए काम करेंगी। जिला प्रशासन की ओर से इन पंचायतों में नशा निवारण समितियों का गठन किया जा रहा है। 

    समितियां करेंगी स्थिति की समीक्षा

    समितियों की हर महीने बैठक होगी। यह समितियां बैठक में पंचायतों में स्थानीय स्तर स्थानीय स्तर पर नशे से संबंधित स्थिति का आकलन और समीक्षा करेंगी। 

    नशे से संबंधी जानकारी एकत्र करेंगी

    इसके अलावा हेरोइन/चिट्टा तथा अन्य नशे से जुड़े अवैध कार्यों की जानकारी एकत्र करेगी। इनमें नशा बेचने वाले, उपभोक्ता, नशा तस्करों और नशा करने वालों की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखेगी। 

    संदिग्ध गतिविधि की जानकारी को समय पर स्थानीय पुलिस स्टेशन या कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा की जाएगी। स्कूलों, समुदायों एवं सार्वजनिक स्थलों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।

    ऐसे सरकार तक सूचना देगी समितियां

    यह समितियां अपने कार्यों की रिपोर्ट संबंधित उपायुक्त कार्यालय को भेजेंगी। उपायुक्त संबंधित पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर नशा निवारण समिति की सिफारिशों की त्रैमासिक समीक्षा करेंगे। इन समीक्षाओं के आधार पर नशे को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। समय-समय पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को भेजी जाएगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह और डीजीपी आवश्यकतानुसार इन समितियों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कार्रवाई करेंगे।

    समितियों में ये लोग होंगे शामिल

    समिति का चेयरमैन स्थानीय स्कूल का प्रिंसिपल एवं हेडमास्टर को बनाया जाएगा। समिति के सदस्यों में पंचायत सचिव या पंचायत सहायक, पटवारी, आशा वर्कर, युवाइ मंडलों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ नागरिक एवं स्वयं सेवक शामिल होंगे। वहीं, थानों के हेड कांस्टेबल इन समितियों के सदस्य होंगे। हेड कांस्टेबल थाना प्रभारियों की ओर से नामित किए जाएंगे।