Shimla Crime: गिरफ्तारी से बचने के लिए इंजीनियर दुबई फरार, क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी के लिए तैयार किया था साफ्टवेयर
हिमाचल में करोड़ों रुपये की क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी के लिए साफ्टवेयर तैयार करने वाला मेरठ का रहने वाला साफ्टवेयर इंजीनियर मिलन गर्ग गिरफ्तारी से बचने के लिए दुबई फरार हो गया है। पुलिस की विशेष जांच टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए मेरठ गई थी। हिमाचल पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस से भी मिलन की गिरफ्तारी के लिए सहयोग मांगा था।

जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल में करोड़ों रुपये की क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी के लिए साफ्टवेयर तैयार करने वाला मेरठ का रहने वाला साफ्टवेयर इंजीनियर मिलन गर्ग गिरफ्तारी से बचने के लिए दुबई फरार हो गया है। पुलिस की विशेष जांच टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए मेरठ गई थी। हिमाचल पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस से भी मिलन की गिरफ्तारी के लिए सहयोग मांगा था। दोनों राज्यों की पुलिस ने मेरठ में कई स्थानों पर दबिश देकर आरोपित की तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला। क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी मामले में प्रदेश में 2500 करोड़ रुपये की ठगी हुई है।
मल्टी लेवल मार्केटिंग नेटवर्क के सहारे लोगों से निवेश करवाया गया और चार माह में पैसा दोगुना करने का झांसा दिया गया। पुलिस की अब तक की जांच में 19 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं और 20 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी का मामला उठने के बाद सरकार ने डीआइजी अभिषेक दुल्लर के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया था। इस दौरान प्रदेशभर से शिकायतें आनी शुरू हो गईं।
सबसे अधिक शिकायतें मंडी, कांगड़ा, ऊना व हमीरपुर से सामने आईं। पुलिस ने अभी तक इस मामले में 19 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। 50 के करीब और आरोपित एसआइटी के निशाने पर है। पुलिस व वन विभाग समेत कई विभागों के कर्मचारी इसमें संलिप्त पाए गए हैं। कुछ कर्मचारियों ने क्रिप्टो करेंसी को मुख्य कारोबार बना लिया और सरकारी नौकरी तक छोड़ दी। सारा फ्राड डिजिटल तरीके से हुआ है। पुलिस ने पूरी वेबसाइट को रिकवर कर लिया है। इससे निवेश करने वालों के नाम व पते पुलिस के पास आ गए हैं।
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