शिमला में 23 दिन बाद बूस्टर डोज शुरू, कई देशों में संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद टीका लगवाने पहुंच रहे लोग
Shimla News राजधानी शिमला में वीरवार से बूस्टर (सतर्कता) डोज फिर से लगनी शुरू हो गई। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आइजीएमसी) शिमला और रिपन में सतर्कता डोज लगाई जा रही है। अस्पताल में सुबह साढ़े 10 बजे से कोरोना की सतर्कता डोज लगनी शुरू हो गई थी।

शिमला, जागरण संवाददाता। राजधानी शिमला में वीरवार से बूस्टर (सतर्कता) डोज फिर से लगनी शुरू हो गई। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आइजीएमसी) शिमला और रिपन में सतर्कता डोज लगाई जा रही है। अस्पताल में सुबह साढ़े 10 बजे से कोरोना की सतर्कता डोज लगनी शुरू हो गई थी। इससे पहले भी अस्पतालों में बूस्टर डोज लगाई जा रही थी लेकिन डोज खत्म होने के 23 दिन तक अस्पताल में ये नहीं लग पाई। कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने शुरू हो गए हैं। इसके बाद जिला प्रशासन ने सतर्कता डोज बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। लोग डोज लगवाने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं।
आइजीएमसी व रिपन सहित डिस्पेंसरियों में सुविधा शुरू हुई, सतर्कता डोज लगवाने का काम लंबे समय से चल रहा था, लेकिन कोरोना के मामले सालभर में कम होने के बाद काफी लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब फिर से अधिकतर लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। लोगों का कहना है कि अस्पताल में अपना इलाज करवाने के लिए आए थे पता चला तो कि सतर्कता डोज भी लग रही है तो इसको लगाने भी आ गई।
इसलिए जरूरी है डोज
शरीर में कोरोना महामारी के खिलाफ बनी हुई एंटीबाडी व इम्युनिटी का लेवल कम होने लगता है। इससे कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। बूस्टर डोज लेने से एंटीबाडी फिर से बन जाती है। इससे कोरोना के लक्षण गंभीर नहीं होते हैं। वैक्सीन लगने के बाद अगर कोई संक्रमित होता भी है तो अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत नहीं आती है।
कहां कितनी लगी वैक्सीन
- मशोबरा सीएचसी
- आइजीएमसी शिमला- 19
- रिपन अस्पताल- 30
- पीएचसी कसुम्पटी- 23
- पीएचसी टुटू- 5
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