Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खुशियों की सायर मुबारक, बड़ा त्योहार आज

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Sat, 16 Sep 2017 10:47 AM (IST)

    सायर के समय मक्की व धान की नई फसल तैयार हो गई होती है। इस दिन घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं।

    Hero Image
    खुशियों की सायर मुबारक, बड़ा त्योहार आज

    शिमला, जागरण संवाददाता। वर्षा ऋतु की विदाई व शरद ऋतु के आगमन के प्रतीक स्वरूप मनाई जाने वाली सायर संक्रांति 16 सितंबर यानी आज है। सायर त्योहार किसानों द्वारा इंद्र व वरुण देवता को अच्छी बारिश के लिए धन्यवाद स्वरूप मनाया जाता है। इस दिन काला महीना समाप्त हो जाता है। भगवान विष्णु भी पाताल लोक से स्वर्ग लौटते हैं। नवविवाहित दुल्हनें ससुराल लौटती हैं। इस वर्ष सायर संक्रांति को श्राद्धों के चलते नवविवाहिताएं चार दिन देरी से लौटेंगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    इस दिन किसान फसलों की पूजा करते हैं। भाद्रपद मास में देवता प्रवास पर चले जाते हैं। इस कारण इसे काला महीना भी कहा जाता है। अश्विन माह की संक्रांति के दिन देवता अपने लोकमें लौट जाते हैं। इस कारण भी पर्व मनाया जाता है। रक्षा बंधन के दिन बहनों या पुरोहितों द्वारा कलाई पर बांधा गया रक्षा सूत्र भी खोलकर पानी में प्रवाहित किया जाता है।

     

    राजाओं के समय से मना रहे रियासती समय में सैरी साजी बघाट रियासत, बेजा, महलोग, कुठाड़ व बाघाल, कोटी के राजाओं द्वारा स्थानीय लोक संस्कृति के त्योहार के तौर पर धूमधाम से मनाई जाती थी। कई जगह मेले लगते हैं, जिसमें भैंसों की लड़ाई करवाई जाती थी। अब भैंसों की लड़ाई प्रतिबंधित है। इस कारण कुश्ती और अन्य खेल करवाए जाते हैं। शिमला के मशोबरा में मेला लगता है। मेले में खेल प्रतियोगिताएं और कृषि प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इस अवसर पर विधायक अनिरुद्ध सिंह बतौर मुख्यातिथि शिरकत करेंगे।

     

    अखरोट खेलकर मनाई जाती है सायर साजी अखरोट को खेलकर सायर साजी मनाई जाती है। मंदिरों में जाकर लोग पूजा-अर्चना करते हैं और अखरोट का खेल खेला जाता है। कांगड़ा-मंडी में ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं सायर हिमाचल की संस्कृति के जानकार एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. गौतम व्यथित का कहना है कि प्रदेश में इसे सायर, सैर व सैरी कहा जाता है। सभी जिलों में इसे मनाया जाता है, लेकिन कांगड़ा व मंडी में धूमधाम से मनाते हैं। सायर से एक दिन पहले मसांत आता है। सायर के साथ शुभ कार्यों का शुभारंभ होता है।

     

    सायर के समय मक्की व धान की नई फसल तैयार हो गई होती है। इस दिन घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। इनमें रोटियां, मिठड़ू, पकोड़ू व पतरोडू विशेष हैं। सुबह मक्की व धान की पूजा करते हैं तथा अच्छे भविष्य की कामना की जाती है। पहले सैर पर्व पर अखरोट भी खेले जाते थे, लेकिन वह चलन कम हो गया है।

     

    यह भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव 30 सितंबर से