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    ह‍िमाचल में जमीन देने में बाबाओं के आगे नियम-कायदे ढेर

    By Munish DixitEdited By:
    Updated: Mon, 28 Aug 2017 02:12 PM (IST)

    हिमाचल में अगर कोई बाबा यहां बसना चाहे या कोई आश्रम बनाना चाहे तो कोई मनाही नहीं है। सरकार की की उस पूरी मेहरबानी रहती है।

    ह‍िमाचल में जमीन देने में बाबाओं के आगे नियम-कायदे ढेर

    शिमला [यादवेंद्र शर्मा]: हिमाचल में किसी अन्य राज्य का कोई व्यक्ति अगर जमीन खरीदने का इच्छुक हो तो उसे कई तरह के नियम और कायदे बताए जाते हैं...लेकिन अगर कोई बाबा यहां बसना चाहे या कोई आश्रम बनाना चाहे तो कोई मनाही नहीं है। सरकार चाहे किसी भी दल की हो लेकिन बाबाओं के आगे हर कोई दंडवत होता है। बाबा खूबसूरत वादियों पर फिदा होते हैं जबकि सरकारें बाबाओं पर। यह कांग्रेस या भाजपा का सवाल नहीं है। सरकार किसी भी दल की हो...बाबाओं की पहुंच 'ऊपर' तक होती है। यही वजह है कि देश के अन्य राज्यों की तरह हिमाचल की सरकारें भी बाबाओं और धार्मिक ट्रस्ट बनाने वालों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान रही हैं। इस छोटे से पहाड़ी प्रदेश में सरकारी जमीन बाबाओं व धार्मिक ट्रस्ट के नाम करने के 1783 मामले हैं। दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए बाबा राम रहीम के अलावा कई बाबाओं के हिमाचल में आश्रम हैं।

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    बाबाओं पर तो हर राजनीतिक दल की मेहरबानी रही है लेकिन गैर कृषक हिमाचलियों (जिनके पूर्वज भी हिमाचल में ही पैदा हुए) को 118 की अनुमति के लिए अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाने पर भी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल रहा है। मसलन अपनी जमीन का हक पाने के लिए भी लोगों को दर-दर भटकना पड़ता है। हिमाचल में 118 के तहत प्रदान की जानी वाली अनुमति का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो हर माह दो से तीन धार्मिक ट्रस्ट को 118 के तहत जमीनें उनके नाम की जा रही हैं। प्रदेश में राजनेता वीआइपी बाबाओं से आशीर्वाद लेने के लिए उन्हें नियम 118 को भी दरकिनार कर जमीनें उनके नाम कर रहे हैं। दुष्कर्म मामले में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को सरकार ने पालमपुर  के चच्चियां (नगरी) में जमीन लीज पर दी है। योगगुरु बाबा रामदेव को भी सरकार ने साधुपुल में जमीन दी थी, लेकिन फिलहाल मामला लटक गया है। महिला से मारपीट के मामले में सीआइडी द्वारा हिरासत में लिए बाबा अमरदेव पर भी सरकार बहुत मेहरबान रही है और उसे भूमि दान में दी है। 

    ट्रस्ट और अनुयायी के आधार पर बाबा का रुतबा

    देश में बाबाओं द्वारा धार्मिक ट्रस्ट बना अपने ट्रस्ट का विस्तार किया जा गया है। जिस बाबा का जितना बड़ा ट्रस्ट और जितने अनुयायी हैं बाबा जी उतने ही बड़े वीवीआइपी। फिर उस बाबा और ट्रस्ट को वैसे ही जमीन के तोहफे दिए जाते हैं। 

    प्रदेश में किन किन बाबाओं पर मेहरबानी और जमीनें
    नाम                                                  स्थान
    डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम       पालमपुर चच्चियां
    सुधांशु जी महाराज                                   कुल्लू
    बाबा अमरदेव                                        सोलन
    बाबा रामेदव                                          साधुपुल
    राधा स्वामी सत्संग                                    प्रदेश में लगभग सभी ब्लाक स्तर पर
    सतपाल जी महाराज                                   परमहंस संजौली
    आसाराम  नादौन के कलूर
    निरंकारी भवन                                         प्रदेश के सभी जिलों में
    श्रीश्री रवि शंकर    प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर
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    तीन साल के दौरान धार्मिक ट्रस्टों को 118 में दी गई अनुमति

    नाम                                        तिथि               स्थान
    पदम संभाव गोंपा कमेटी भुंतर              1-1-2015        कुल्लू
    हरियाणा राधा स्वामी सत्संग एसोसिएशन    09-03-2015       नगरोटा बगवां
    भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम ट्रस्ट      31-03-2015       बल्ह मंडी
    चैतन्य ट्रस्ट सोनीपत हरियाणा              28-04-2015      
    ओशो समर्थक  जीवन ट्रस्ट जींद           15-05-2015      
    रुहानी सत्संग प्रेम समाज                  05-12-2016      ऊना
    वैष्णों भजन मंडली ट्रस्ट                 22-01-2016       ऊना
    धाकपो शेद्रूप  मोनेस्ट्री              14-03-2017       कुल्लू

    आखिर क्या है नियम 118 में प्रावधान

    हिमाचल प्रदेश में गैरकृषक प्रदेश में जमीन खरीदने का हक नहीं रखते हैं। हिमाचल प्रदेश में भूमि मुजारा कानून की धारा 118 के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति गैरकृषक व्यक्ति जिसके पास बेशक हिमाचल का राशनकार्ड ही क्यों न हो हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकता है। 1972 के भूमि मुजारा कानून की धारा 118 प्रभाव में आई थी। जिसके तहत कोई भी गैरकृषक अथवा गैर हिमाचली प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकता है। हिमाचली स्थायी प्रमाणपत्र रखने वाले भी सरकार की अनुमति से शहरों में ही आवास बनाने अथवा कारोबार के लिए सीमित भूमि खरीद सकते हैं।

    कैसे चल रहा है जमीन नाम करने का खेल

    विभिन्न गैर हिमाचलियों के ट्रस्ट को स्थानीय स्तर पर कृषक हिमाचली के नाम से ट्रस्ट बनाया जा रहा है। बाबाओं के अनुयायी कृषक हिमाचलियों द्वारा स्थानीय ट्रस्ट बनकार जमीन को ट्रस्ट के नाम किया जा रहा है।
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    गर्मियों में खुलते हैं अधिकतर आश्रम

    प्रदेश में आने वाले कुछ आश्रमों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर बाबा यहां प्रवचन करने गर्मियों में ही हिमाचल का रुख करते हैं। देश के अन्य हिस्सों में जब गर्मी का प्रकोप अधिक रहता है तो बाबा हिमाचल में प्रवचन का कार्यक्रम तय करते हैं।
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    ''प्रदेश में 1972 के भूमि मुजारा कानून की धारा-118 के तहत ही अनुमति प्रदान की जाती है। ऐसे सभी मामलों में नियमों के आधार पर अनुमति प्रदान की जा रही है। जहां पर बेनामी सौदे 118 के तहत हुए उसमें कार्रवाई भी की जा रही है।'-कौल सिंह ठाकुर, राजस्व मंत्री हिमाचल प्रदेश।

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