Road Safety With Jagran: सामूहिक जिम्मेदारी से रुकेंगी दुर्घटनाएं, SP मोनिका ने बताई शिमला में हादसों की वजह
Road Safety With Jagran पहाड़ी जिला होने के कारण शिमला की सर्पीली सड़कों पर कई लापरवाह चालकों के कारण अन्य लोगों को हादसे का शिकार होना पड़ता है। एसपी शिमला डाक्टर मोनिका ने हादसों की वजह व रोकथाम के बारे में दैनिक जागरण से बात की।

शिमला, अनिल ठाकुर। Road Safety With Jagran, राजधानी शिमला सहित जिले में आए दिन सड़क हादसों में कई लोग जान गंवा रहे हैं। वाहनों को तेज रफ्तार से चलाने के कारण सड़क किनारे पैदल चलने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। पहाड़ी जिला होने के कारण यहां की सर्पीली सड़कों पर कई लापरवाह चालकों के कारण अन्य लोगों को हादसे का शिकार होना पड़ता है। हालांकि पुलिस की टीमें दिन-रात सड़कों पर रूटीन गश्त करती हैं, लेकिन सड़कों हादसों को रोकने के लिए लोगों का जागरूक होना भी जरूरी है। अगर सभी लोग जिम्मेदारी समझें, तो हादसे कम हो सकते हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के पुलिस चालान काटती है। यदि कोई नहीं मानता है तो उसके लाइसेंस को भी रद करने की सिफारिश की जाती है। दैनिक जागरण के अनिल ठाकुर ने सड़क सुरक्षा महाअभियान के दौरान एसपी शिमला डा. मोनिका से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश।
जिले में सड़क हादसों को रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
हादसों के कई कारण हैं। तेज रफ्तार, खराब सड़क, गाड़ी की तकनीकी खराबी सहित कई अन्य कारण। यह सामूहिक प्रयास है। सभी यदि अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें तो हादसों को कम किया जा सकता है। चालकों की सबसे अहम जिम्मेदारी है। तय गति में गाड़ी चलाएं और ओवरस्पीड में न चलें।
पुलिस की भूमिका पर ही सबसे ज्यादा सवाल उठते हैं क्यों?
यह गलत है। पुलिस अपना काम बेहतर तरीके से कर रही है। पुलिस के जवान दिन-रात, वर्षा, हिमपात व धूप में सड़कों पर तैनात रहते हैं। रात को भी नाके लगाए जाते हैं। यह काम केवल पुलिस का ही नहीं है, सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।
क्या सड़कों की खस्ता हालत भी हादसों के लिए जिम्मेदार है?
हादसा होने के बाद पुलिस मौके पर सबसे पहले पहुंचती है। दुर्घटना के बाद संयुक्त जांच के लिए टीम जाती है। वहां जाकर देखा जाता है कि क्या ब्लैक स्पाट था या तकनीकी खामी की वजह से दुर्घटना हुई। उसके आधार पर संबंधित एजेंसी नेशनल हाईवे या लोक निर्माण विभाग को इसे दुरुस्त करने के लिए लिखती है।
क्या पुलिस अभी भी पुराने ढर्रे पर काम कर रही है?
पुलिस ने जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। पुलिस राइडर सभी जगह रूटीन गश्त करते हैं। इसके अलावा पुलिस की टीमें रात को नाके लगाती हैं। कोई शराब पीकर गाड़ी तो नहीं चला रहा है, या मोबाइल फोन तो नहीं सुन रहा। ऐसा करने वालों के चालान काटे जाते हैं। एल्को सेंसर और बाडी कैमरा पुलिस जवानों के पास रहते हैं। शिमला, रामपुर और ठियोग तीनों ही स्थानों की मानिटरिंग सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से होती है।
खराब सड़कों के लिए जिम्मेदार कौन है?
हादसे के बाद संयुक्त निरीक्षण होता है। नेशनल हाईवे, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर भी मौके पर जाते हैं। पुलिस खुद भी निरीक्षण करती है। संबंधित विभागों को पत्र लिखकर ब्लैक स्पाट ठीक करने, सड़कों के किनारे क्रैश बैरियर लगाने, रिफलेक्टिंग टेप लगाने को लेकर लिखा जाता है। इसमें सुधार भी होता है।
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