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    हिमाचल प्रदेश में खतरा बने पहाड़, 172 स्थानों पर जोखिम भरा सफर

    By Rajesh SharmaEdited By: Rajesh Sharma
    Updated: Thu, 09 Oct 2025 11:16 AM (IST)

    हिमाचल प्रदेश में 172 स्थान ऐसे हैं जहाँ पहाड़ खतरनाक बने हुए हैं, जिससे यात्रा जोखिमपूर्ण हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और लोक निर्माण विभाग द्वारा लगाए गए चेतावनी बोर्ड केवल औपचारिकता मात्र हैं, क्योंकि वे स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। फोरलेन निर्माण के बाद पहाड़ों की अस्थिरता बढ़ गई है, जिससे पत्थर गिरने की घटनाएं बढ़ गई हैं। प्रदेश में 451 ब्लैक स्पॉट हैं, जहाँ पिछले चार वर्षों में 395 लोगों की मौत हो चुकी है।

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    हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में मनाली हाईवे पर दरका पहाड़। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, शिमला। पहाड़ों पर वाहन चलाना हमेशा से जोखिम भरा रहा है। हालात यह हैं कि हिमाचल प्रदेश के 172 स्थान ऐसे हैं जहां पहाड़ खतरा बने हुए हैं और सफर जोखिम भरा है। फोरलेन निर्माण से पहले भी मंडी जिले के गुम्मा, किन्नौर जिले में निगुलसरी और बिलासपुर जिले के स्वारघाट जैसे स्थानों पर पहाड़ियों से पत्थर गिरने की घटनाएं आम थीं। इसके अलावा, कई स्थानों पर मलबा आने से वाहनों की आवाजाही बाधित होती रही है। 

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    भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और लोक निर्माण विभाग ने बचाव के लिए इन स्थानों पर चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, लेकिन ये केवल औपचारिकता बनकर रह गए हैं। इन बोर्डों का आकार इतना छोटा है कि वाहन चालकों की दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।

    फोरलेन निर्माण के बाद परवाणू-शिमला फोरलेन में पहाड़ की तरफ वाली लेन कई स्थानों पर बंद पड़ी है। इसी तरह की स्थिति कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर भी देखने को मिलती है। फोरलेन बनने के बाद पहाड़ अस्थिर हो गए हैं और पत्थर गिरने की घटनाएं बढ़ गई हैं। कोटरूपी में कई वर्ष से मानसून सीजन के दौरान खिसक रहा पहाड़ अब ठहरा है।

    सड़क किनारे नजर नहीं आते चेतावनी बोर्ड 

    चेतावनी बोर्ड एनएचएआइ और लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़कों के किनारे लगाए गए हैं, लेकिन इनकी प्रभावशीलता संदिग्ध है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए चेतावनी बोर्ड 100-200 मीटर दूर से स्पष्ट दिखाई देने चाहिए, लेकिन वास्तविकता यह है कि इनकी दृश्यता को बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। पीली टेपिंग से वाहन चालक और यात्री सजग रह सकते हैं, लेकिन यह अभी तक लागू नहीं किया गया है।

    451 ब्लैक स्पाट, चार वर्षों में 395 लोगों की मौत 

    लोक निर्माण विभाग द्वारा चिह्नित प्रदेश की सड़कों पर 451 ब्लैक स्पाट दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहे हैं। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में इन ब्लैक स्पाट पर 395 लोगों की मौत हो चुकी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हिमाचल परिवहन विभाग को इस संबंध में एक सूची भेजी है। विभाग ब्लैक स्पाट को समाप्त करने के लिए रिटेनिंग वाल, पैरापिट, क्रैश बैरियर, रोड साइन और तीखे मोड़ों का सुधार करता है। यह कार्य पूरे वर्ष चलता है। इन सुधारों के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में 15.62 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया था, जिसे इस वर्ष और बढ़ाया गया है। विभाग ने वर्ष 2021 से 2024 तक 1864 ब्लैक स्पाट चिह्नित किए गए हैं और विभाग 1147 को दुरुस्त करने का दावा करता है।