Rajya Sabha Election: ‘दो आंखें बारह हाथ या 36 चौरंगी लेन’, सिंघवी की जीत को लेकर ऐसा क्यों बोले कांग्रेस विधायक
हिमाचल राज्यसभा सीट (Himachal rajya sabha Seat) पर मंगलवार को मतदान के लिए कांग्रेस विधायकों में आई अशांति से भाजपा को हर्ष महाजन की उम्मीद है। बता दें कि काग्रेस अपने 40 विधायकों के साथ चुनाव में उतरी है तो वहीं भाजपा 25 विधायकों के साथ लेकिन आपको बता दें कि भाजपा की नजर कांग्रेस के नराज विधायकों पर है।
रोहित नागपाल, शिमला। हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा की एक सीट पर मंगलवार को मतदान के लिए कांग्रेस विधायकों की अशांति से भाजपा को हर्ष की उम्मीद है। कांग्रेस के 40 विधायकों के मुकाबले अपने 25 विधायकों के दम पर चुनाव में उतरी भाजपा की नजर कांग्रेस के नाराज विधायकों पर है। क्या अभिषेक मनु सिंघवी को प्रत्याशी बनाने वाली कांग्रेस में वास्तव में नाराजगी है?
दो आंखें बारह हाथ या 36 चौरंगी लेन
इस पर कांग्रेस के एक सुशिक्षित विधायक से पूछा कि कितने हाथ अपनी पार्टी के आदेश के बजाय, आत्मा की आवाज सुनेंगे? उन्होंने जवाब दिया, बस इतना याद रखें कि वी शांताराम की फिल्म थी, दो आंखें बारह हाथ। उनसे फिर पूछा गया कि बारह हाथ का अर्थ हुआ छह लोग। इस पर उन्होंने कहा, रुकिए...यह तो गलत हो गया...आप 36 चौरंगी लेन फिल्म को याद रखें। इस वार्तालाप में उनका संदेश उपरोक्त फिल्मों की विषयवस्तु नहीं, केवल संख्या ही केंद्र में थी।
भाजपा को कांग्रेस के नाराज विधायकों से वोट की उम्मीद
यह मतदान के बाद ही पता चलेगा कि उक्त बातों में कोई भार है या यह केवल नाराजगी के स्वर हैं। जो हो, भाजपा के हर्ष महाजन विजयी रहें, इसके लिए सात कांग्रेस विधायक और तीन निर्दलीयों विधायकों का साथ भाजपा के लिए अनिवार्य है। दूसरी स्थिति यह है कि कांग्रेस के 13 विधायक मतदान ही न करें। इसके अलावा कोई भी स्थिति भाजपा के लिए बेहतर नहीं हैं। भाजपा का संख्याबल कांग्रेस के मुकाबले काफी कम है। इसके बावजूद भाजपा को कांग्रेस के नाराज विधायकों से वोट की उम्मीद है।
भाजपा के हाथ कुछ भी लगता है तो इससे बड़ी राजनीतिक हलचल होने की संभावना है। उधर, कांग्रेस सरकार के प्रबंधकों में से एक का कहना है कि प्रदेश सरकार के अभी चार वर्ष और हैं, कोई विधायक अपने क्षेत्र के विकास का विरोधी नहीं हो सकता।
नाराजगी साफ, हिम्मत पर नजर
कांग्रेस पार्टी की बैठकों से लेकर विधायक दल की बैठक या फिर दिल्ली में हुई मुलाकातों में कांग्रेस के कई विधायक खुली नाराजगी जता चुके हैं, लेकिन राजनीति में कोई कब तक किससे नाराज रहता है, यह तय नहीं होता। दोस्ती या नाराजगी कब खत्म हो जाए या फिर से कब शुरू हो जाए, इस पर कयास लगाना भी जोखिमपूर्ण रहता है।
सामान्य तौर पर नेता अपनी सुविधा के अनुसार ही नाराजगी खत्म और दोस्ती बढ़ाते रहे हैं। सुजानपुर के कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा और धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा तो मंत्री न बनाए जाने के बाद से लगातार नाराज और मुखर हैं।
खुली मतदान प्रक्रिया ने बढ़ाई भाजपा की परेशानी
राज्यसभा चुनाव के लिए खुली मतदान प्रक्रिया ने भाजपा की परेशानी बढ़ाई है। हालांकि, पहले यह माना जा रहा था कि यदि गुप्त मतदान होता है तो भाजपा के पक्ष में कुछ नाराज विधायक वोट डाल सकते थे। ऐसी स्थिति अब कांग्रेस के विधायकों के लिए आसान नहीं दिख रही है। अभी सरकार के करीब चार वर्ष है। ऐसे में कोई भी पार्टी का विधायक सीधे तौर पर सरकार के विरुद्ध नहीं जा सकता। यह है मतदान की प्रक्रिया राज्यसभा चुनाव के दौरान कोई भी विधायक अपना मतपत्र पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाए बिना पेटी में नहीं डाल सकता। यदि कोई ऐसा करता है तो उसका मत अवैध माना जाएगा।
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