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    जय श्री राम, सुक्खू सरकार से तालमेल... हिमाचल प्रोजेक्ट को लेकर क्या बोले मंत्री विक्रमादित्य सिंह, पढ़ें पूरा इंटरव्यू

    Updated: Mon, 20 Jan 2025 02:16 AM (IST)

    विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि स्कूलों की संख्या नहीं हमारी सरकार शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है। सुक्खू सरकार के सबसे युवा मंत्री 35 वर्षीय विक्रमादित्य सिंह हर बात को बेबाकी और तथ्य के साथ कहते हैं। दैनिक जागरण के बनोई स्थित प्रेस परिसर में संपादकीय टीम के साथ विक्रमादित्य सिंह की विस्तृत बातचीत हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...

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    हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दैनिक जागरण के साथ खास बातचीत की।

    जागरण संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह कहते हैं कि हर सरकार में देनदारियां होती हैं। चेहरे और पार्टियां बदल जाती हैं, लेकिन सरकार चलती रहती है।

    प्रदेश पर देनदारियां तो बढ़ी हैं, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार हर चुनौती का मजबूती से सामना कर रही है। केंद्र से जीएसटी व अन्य मदों पर मिलने वाली राशि हमारा हक है, इसे कोई रोक नहीं सकता है। 

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    सवाल- आप जब भी दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष हिमाचल से जुड़ी परियोजनाएं लेकर जाते हैं उन्हें तुरंत स्वीकृति मिल जाती है। क्या प्रस्ताव ही ऐसे होते हैं, जिन्हें स्वीकृति देना मजबूरी है या फिर कोई और कारण?

    जवाब- (मुस्कुराते हुए) प्रदेश के विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहता हूं। पिता जी (वीरभद्र सिंह) ने भी हमेशा यही सीख दी है। आपके प्रयास अगर सकारात्मक होंगे तो सब समर्थन देते हैं। हमने प्रदेशहित के कई मुद्दे उठाए हैं। दो साल में 4500 करोड़ रुपये के सड़कों से जुड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए हैं।

    प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) से लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के लिए केंद्रीय मंत्री ने कई प्रोजेक्ट स्वीकृत किए हैं। पांच राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार भी जल्द शुरू होगा। तो धन्यवाद करना भी बनता है।

    सवाल- कांग्रेस के कुछ नेता दिल्ली जाकर लौटने पर अकसर केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश को दी जानी वाली राशि के बारे में बताते नहीं, जबकि आप इसके बारे में खुलकर बात करते हैं। ऐसा क्यों?

    जवाब- केंद्र सरकार जो भी राशि या प्रोजेक्ट स्वीकृत करती है इसके बारे में जनता के समक्ष खुलकर बात होनी चाहिए, जो नहीं मिल रहा है, मैं वो बात भी खुलकर कहता हूं। केंद्र से हमें पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट (पीडीएनए) का पैसा दो साल से नहीं मिला है।

    इसी तरह जो राशि जयराम सरकार में 12000 करोड़ रुपये मिलती थी, उसे 3000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वर्ष 2023 में आपदा से प्रदेश को भारी नुकसान हुआ, लेकिन केंद्र ने उस हिसाब से राशि जारी नहीं की। वर्तमान में प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन कांग्रेस सरकार सीमित संसाधनों के बावजूद विकास कार्यों को गति देने के लिए उचित कदम उठा रही है।

    सवाल- पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हमेशा शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए घर-द्वार पर स्कूल खोलने के हिमायती थे, लेकिन अब स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है, इस पर क्या कहेंगे?

    जवाब- पहले व आज के परिवेश में सुविधाओं में काफी अंतर आया है। पहले दूरदराज के क्षेत्रों में सड़कों का अभाव था। सूचना तंत्र भी सीमित था। अब गांव-गांव तक सड़कों का जाल बिछ गया है। अब क्लस्टर स्तर पर स्कूल खोले जा रहे हैं।

    इन स्कूलों में ज्यादा सुविधाएं होंगी व आधुनिक तकनीक बच्चों को उपलब्ध करवाने का प्रयास रहेगा। प्रदेश सरकार स्कूलों की संख्या नहीं पढ़ाई की गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है। पढ़ाई में सुधार होगा तो सरकारी स्कूलों की ओर अधिक बच्चे आकर्षित होंगे।

    सवाल- आपके करीबी रहे सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा और इंद्रदत लखनपाल अब भाजपा में हैं। उनसे पहले जैसी बातचीत होती है। उनकी वापसी की कोई संभावना?

    जवाब- (मुस्कुराते हुए) बातचीत तो सभी से होती है, चाहे किसी भी दल का नेता हो। व्यक्तिगत संबंध अपनी जगह होते हैं। रही बात वापसी की... मैं कोई ज्योतिषी तो हूं नहीं जो यह बता सकूं।

    सवाल- इंटरनेट मीडिया पर आप जय श्रीराम लिखते हैं और पक्ष-प्रतिपक्ष चौंक जाते हैं, ऐसा क्यों?

    जवाब- हल्ला क्यों मच जाता है यह तो नहीं बता सकता। (अचानक गंभीर मुद्रा में आते हुए) यह किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार तो नहीं है। श्रीराम सबके हैं। मंदिर भी सबका है। हम सनातनी हैं। यह अधिकार भाजपा को ही नहीं है।

    ऑन रिकॉर्ड है...वीरभद्र सिंह ही मतांतरण पर कानून लाए थे। वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे। हम भी उसी राह पर आगे बढ़ रहे हैं। सभी जानते हैं कि हिमाचल 98 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या वाला प्रदेश है, हम सभी की भावनाओं का सम्मान करते हैं। इस नारे के कोई राजनीतिक अर्थ नहीं हैं।

    सवाल- शिमला-कांगड़ा फोरलेन का क्या स्टेटस है, इसे फोरलेन कहा जाए या डबललेन?

    जवाब- देखिए...इस मामले को मुख्यमंत्री और मैं केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से उठा चुके हैं। यह मार्ग कई जगह डबललेन और कई जगह डबललेन और फोरलेन के बीच का बन रहा है। केंद्र का कहना है कि यातायात अधिक नहीं होने से उस जगह डबललेन बनाया जा रहा है।

    हमीरपुर शहर के दोनों ओर से इसे डबललेन बनाने का प्रस्ताव है, हमने यह मामला भी उठाया है कि इसे एक ओर से ही फोरलेन किया जाए। हमने भू अधिग्रहण का मामला भी उठाया है।

    एक बार ही फोरलेन के लिए जमीन ले ली जाए, ताकि लोग बार-बार परेशान न हों। मामले को एनएचएआइ के ध्यान में लाए हैं। वह गंभीरता से मामले को देख रहे हैं... अब देखते हैं क्या होता है।

    सवाल- विपक्ष भी लगातार कह रहा है और ठेकेदार भी कह रहे हैं कि भुगतान नहीं हो रहा है, सच्चाई क्या है?

    जवाब-  (गंभीर मुद्रा में)... पहले तो हमें यह समझना है कि सरकारें निरंतरता में चलती हैं। जयराम ठेकेदारों की बात उठा रहे हैं, अच्छी बात है। लेकिन उन्हें अगर ठेकेदारों से इतना ही प्यार है तो मुख्यमंत्री पद छोड़ने से पहले सारे भुगतान कर देने चाहिए थे, लेकिन उन्होंने हमारी सरकार पर छोड़ दिया।

    यह देनदारियां वर्ष 2021 से हैं। यह परिस्थितियां आज पैदा नहीं हुईं, इनकी गहराई में नहीं जाना चाहता। शायद 1991 के बाद से हम लगातार घाटे का बजट पेश कर रहे हैं। मैंने मुख्यमंत्री जी के समक्ष तीन दिन पहले भी बात रखी। वित्त सचिव को 80 करोड़ रुपये जारी करने के निर्देश दिए हैं।

    बड़े ठेकेदारों को केंद्रीय पोषित स्कीमों से लगातार भुगतान लगातार हो रहा है। छोटे ठेकेदारों की समस्या कुछ ही दिन में खत्म हो जाएगी।

    सवाल- सरकार और संगठन में तालमेल ठीक है?

    जवाब- हां, पूरी तरह ठीक है। संवाद चलते रहना चाहिए और पार्टी कार्यकर्ताओं की कोई सलाह है तो सरकार तक पहुंचनी चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सरकार बनाने में कार्यकर्ताओं का योगदान है।

    उनकी आवाज को संगठन के माध्यम से सरकार के समक्ष उठाया जा रहा तो उसे सकारात्मक तरीके लेने की आवश्यकता है और लिया भी जा रहा है।

    मुख्यमंत्री भी स्वयं संगठन से आए हैं, इसलिए वह इस बात को समझते हैं। मैं समझता हूं विचारों में भिन्नता जरूरी है। हर चीज में सरकार और संगठन एक ही भाषा बोलें तो वह भी प्रदेशहित में नहीं होगा।

    सवाल- आपको पिछले दिनों सख्त व्यक्तव्य देना पड़ा कि कोई माई का लाल होलीलाज की अनदेखी नहीं कर सकता, इतने तल्ख तेवर क्यों करने पड़े?

    जवाब- (हंसते हुए)- जयराम का निशाना कहीं और था और निगाहें कहीं और थीं। देखिए होलीलाज एक प्रतीक है। लोगों की भावनाओं का केंद्र है। प्रयास कर रहे हैं कि पिता जी के साथ लोगों की जो भावनाएं इस भवन के कारण जुड़ी हैं उन्हें बनाए रखें।

    सवाल- यदि हम कहें कि राजनीति यदि महाभारत है तो आपका प्रिय पात्र कौन है, कौन आदर्श है?

    जवाब- राजनीति में हर किसी से कुछ न कुछ सीखने के लिए मिलता है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह महान अर्थशास्त्री थे। वर्तमान प्रधानमंत्री भी विपरीत परिस्थितियों के बीच से यहां पहुंचे हैं। हम किसी एक व्यक्ति को आदर्श नहीं मान सकते, हर किसी से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है।

    सवाल- कौन सी ऐसी जनहित परियोजनाएं हैं जो जल्द पूरी होंगी?

    जवाब- सरकार की प्राथमिकता है कि ऐसी परियोजनाओं व निर्माण कार्यों को जल्द पूरा किया जाए जिनका 80 प्रतिशत तक कार्य हो चुका है, ताकि इन्हें हस्तांतरित कर उपयोग में लाया जाए। कुछ निर्माण कार्य धीमी गति से हो रहे हैं।

    कुछ नई परियोजनाओं में औपचारिकताओं की कमी आड़े आ रही है। वन भूमि समेत कई अड़चनें आती हैं। पीडब्ल्यूडी के पास 175 करोड़ रुपये ऐसे हैं जो कारणवश संबंधित कार्यों पर खर्च नहीं हो पाए हैं। मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद इस पैसे को भी अधूरे कार्यों को पूरा करने में खर्च किया जा रहा है।

    भू-जोत, जलोड़ी जोत व होली-उतराला सुरंग सरकार की प्राथमिकता में हैं। भूभू जोत टनल से 40 से 50 किलोमीटर सफर कम होगा। यह सामरिक रूप से अहम होगा। रक्षा मंत्रालय ने गडकरी के मंत्रालय को लिखा है, जल्द स्वीकृति मिलने की संभावना है।

    अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हमारा पुराना धौलाधार एक्सप्रेस, मैक्लोडगंज से डलहौजी को पर्यटन की दृष्टि से कैसे विकसित किया जाए, इस पर कार्य करें। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के समय इसे प्रस्तावित किया था