पीएम मोदी ने क्रिकेटर रेणुका ठाकुर की मां को क्यों किया प्रणाम? बेटी के लिए किए संघर्ष पर कही दिल छू लेने वाली बात
प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिकेटर रेणुका ठाकुर की मां को प्रणाम किया और उनके संघर्षों की सराहना की। उन्होंने रेणुका की प्रतिभा और उनकी मां के त्याग को देश के लिए प्रेरणा बताया। रेणुका की मां ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी बेटी को क्रिकेटर बनाने में हर संभव सहायता प्रदान की। पीएम मोदी ने अन्य माता-पिता को भी अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय क्रिकेटर रेणुका सिंह ठाकुर से बात करते हुए।
जागरण टीम, शिमला। भारत की विश्व चैंपियन महिला क्रिकेट टीम ने बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। पीएम मोदी ने इस दौरान हिमाचल निवासी रेणुका ठाकुर से विशेष संवाद किया। उन्होंने रेणुका ठाकुर की मां को प्रणाम भी किया।
प्रधानमंत्री ने महिला क्रिकेटर की मां के संघर्ष को सलाम करते हुए कहा कि बेटी के लिए उनका समर्पण प्रेरणादायक है। मैं आपकी मां को प्रणाम करता हूं, जिन्होंने इस कद्र संघर्ष कर बेटी को मुकाम तक पहुंचाया।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार गेंदबाज रेणुका सिंह ठाकुर शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के पारसा गांव की निवासी हैं। रेणुका की सफलता के पीछे उनकी मां सुनीता ठाकुर का वर्षों का संघर्ष छिपा है।
तीन वर्ष की थी तो पिता गुजर गए
रेणुका जब तीन वर्ष की थी तो पिता केहर सिंह ठाकुर का वर्ष 1999 में निधन हो गया। पिता बेटी को क्रिकेटर बनाना चाहते थे। इसके बाद उसे जल शक्ति विभाग में दैनिक वेतनभोगी के पद पर करुणामूलक आधार पर नौकरी मिली। महीने में 1500 रुपये मिलते थे यानी दिन के 50 रुपये।
पिता का सपना था बेटी को क्रिकेटर बनाना
पिता का बेटी को क्रिकेटर बनाने का सपना उसके मन में था, लेकिन इसके प्रशिक्षण का खर्च मेरी कमाई से काफी ज्यादा था। सिर्फ जूते का खर्च ही 15 हजार रुपये था, अन्य खर्चे अलग थे।
पैसे उधार लेकर बेटी की जरूरतें पूरी की
इन खर्च को पूरा करने के लिए उधार लिया और बेटी के सपने को साकार करवाने में जुट गई। कई बार अपने विभाग के एसडीओ से पैसे उधार लिए। ससुर और जेठ ने भी कई बार सहायता की। रेणुका ने गांव के मैदानों में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलते हुए अपनी प्रतिभा को निखारा।
कपड़े की गेंद से बुनी विश्व कप की तकदीर
रेणुका जब पांच साल की थी तो गांव में कपड़े की गेंद और लकड़ी के बैट से अपने भाई विनोद और चचेरे भाई-बहनों के साथ के साथ क्रिकेट खेलती थी। इस दौरान रेणुका के चाचा भूपेंद्र ठाकुर ने सबसे पहले उसकी प्रतिभा को पहचाना। जब 13 वर्ष की थी तो चाचा हिमाचल प्रदेश क्रिकेट अकादमी (एचपीसीए) धर्मशाला लेकर आए। तब वह हाई स्कूल पारसा में आठवीं में पढ़ती थी। आज रेणुका भारतीय महिला क्रिकेट टीम के गेंदबाजी क्रम की प्रमुख कड़ी है।
विश्व कप में की शानदार गेंदबाजी
विश्वकप फाइनल में भी उसने शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया। हालांकि कोई विकेट नहीं मिला, लेकिन आठ ओवर में मात्र 28 रन देकर दक्षिण अफ्रीकी टीम पर दबाव बनाने में अहम भूमिका निभाई।
2009 में लिया था अकादमी में प्रवेश
रेणुका ने 2009 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की आवासीय अकादमी में प्रवेश लिया। घरेलू क्रिकेट 2019-20 सीनियर महिला वनडे लीग में सबसे ज्यादा 23 विकेट लिए। सात अक्टूबर 2021 को रेणुका ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ महिला टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। 2022 में आइसीसी ने रेणुका को वर्ष की उभरती हुई महिला क्रिकेटर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आज जब रेणुका को भारतीय टीम के लिए खेलते देखती हूं तो गर्व होता है। पिता होते तो बेटी की सफलता पर खुश होते। पिता बेटी को क्रिकेटर बनाना चाहते थे। विनोद कांबली उन्हें काफी पसंद थे, इसलिए बेटे का नाम भी विनोद रखा था। पीएम मोदी की ओर से सराहना पर उनका बहुत-बहुत धन्यवाद।
-सुनीता ठाकुर, क्रिकेटर रेणुका सिंह ठाकुर की मां।
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