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    हिमाचल प्रदेश के रामपुर के कुत्तों में पाया गया पार्वो वायरस, मार्च में आया था पहला मामला, जानें इसके लक्षण

    By Jagran NewsEdited By: Suprabha Saxena
    Updated: Sat, 05 Apr 2025 02:31 PM (IST)

    रामपुर और आसपास के क्षेत्रों में कुत्तों में पार्वो वायरस का प्रकोप देखा जा रहा है। इस वायरस के कारण कुत्तों में खूनी उल्टी और दस्त की समस्या हो रही है। समय पर इलाज न मिलने पर कुत्तों की मौत भी हो सकती है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि डेढ़ से दो साल की उम्र के कुत्ते इस वायरस से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

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    हिमाचल में कुत्तों में पाया गया पार्वो वायरस

    संवाद सहयोगी, रामपुर बुशहर। उपमंडल रामपुर व साथ लगते जिला कुल्लू के क्षेत्रों से उपचार के लिए पशुचिकित्सालय रामपुर लाए जाए रहे डॉग्स में पार्वो वायरस के लक्ष्ण पाए जा रहे हैं। रामपुर में इसका पहला मामला मार्च माह में आया था। समय से उपचार न मिलने पर इससे 90 फीसद डॉग्स की मौत होने की संभावना बताई जा रही है। हालांकि यह कोई नया वायरस नहीं यह सीजनली होता है। इसमें डेढ से दो साल की उम्र के डॉग्स ज्यादा प्रभावित होते हैं।

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    पार्वो वायरस के लक्षण खून की उल्टी और दस्त लगना 

    पार्वो वायरस के लक्ष्ण खून की उल्टी और खून के दस्त लगना है। इसमें दस्त बहुत अधिक बदबूदार आता है और कई बार तो इसमें इसमें खून के ही दस्त लगते हैं। ऐसे में डॉग्स का समय पर उपचार करना बहुत जरूरी हो जाता है। यदि इसमें डॉग मालिक द्वारा कोई कोताही बरती जाती है तो इससे डॉग की जाना भी संभव है।

    अभी तक रामपुर के गौरा, थड़ा और निरमंड के बागीपुल, अरसू और चाटी से पार्वो वायरस के मामले पशुचिकित्सालय में आए हैं, जिनमें से अधिक समय पर उपचार मिलने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि कुछ अभी उपचाराधीन है।

    इस बात की जानकारी देते हुए पशु चिकित्सक डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि रामपुर व आसपास के क्षेत्रों में विभाग के सहयोग ह्यमून पीपल संस्था द्वारा मुहिम चलाई जा रही है, जिसमें पालतू और आवरा डॉग्स को सेवन इन वन वैक्सीन लगाई जा रही है। जिससे रामपुर व साथ लगते क्षेत्र में पार्वो वायरस को काफी हद तक नियंत्रित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि अभी तक 2100 से अधिक डॉग्स को यह वैक्सीन लगाई जा चुकी है। जो पार्वो सहित अन्य कई प्रकार की बिमारियों में कारगर साबित हो रही है।

    इस वैक्सीन से निम्न सात बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है

    डी-डिस्टेंपर: श्वसन, जठरांत्र और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला एक अत्यधिक संक्रामक और अक्सर घातक वायरल रोग।

    एच-हेपेटाइटिस (कैनाइन एडेनोवायरस टाइप-1): संक्रामक कैनाइन हेपेटाइटिस का कारण बनता है, जो यकृत और अन्य अंगों को प्रभावित करता है।

    एच/ए2 - एडेनोवायरस टाइप-2: श्वसन रोग (केनेल खांसी) में योगदान देता है और टाइप-1 (हेपेटाइटिस) के खिलाफ क्रॉस-सुरक्षा प्रदान करता है।

    पी- पार्वोवायरस: गंभीर उल्टी और खूनी दस्त का कारण बनने वाला एक घातक वायरस, विशेष रूप से पिल्लों में खतरनाक।

    पी-पैराइन्फ्लुएंजा: एक श्वसन वायरस जो केनेल खांसी के जटिल रूप में योगदान देता है।

    आर- रेबीज: मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करने वाला एक घातक वायरल रोग, जो मनुष्यों में संचारित हो सकता है।

    एल- लेप्टोस्पायरोसिस: एक जीवाणु रोग जो किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है; यह जूनोटिक भी है (मनुष्यों में फैल सकता है)।