हिमाचल के मेडिकल कॉलेजों में 23 साल बाद बढ़ी पैरामेडिकल सीटें, IGMC शिमला में 10 से 50 हो गई संख्या
हिमाचल सरकार ने 23 वर्षों बाद पैरामेडिकल की सीटें बढ़ाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। आईजीएमसी शिमला और टांडा मेडिकल कॉलेज में बीएससी मेडिकल लैब तकनीशियन रेडियोलॉजी एनेस्थीसिया और ओटी तकनीक की सीटें बढ़ाई गई हैं। इस फैसले से स्वास्थ्य सेवाओं में प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी दूर होगी और प्रदेश में बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ मिलेंगी। सरकार स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल सरकार ने 23 वर्षों बाद चिकित्सा क्षेत्र में पैरामेडिकल की सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारियों की कमी को देखते हुए लिया गया है।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला में बीएससी मेडिकल लैब तकनीशियन, बीएससी रेडियोलॉजी और इमेजिंग, बीएससी एनेस्थीसिया और ओटी तकनीक में प्रत्येक पाठ्यक्रम की सीटें 10 से 50 और डॉ. राजेंद्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय टांडा में 18 से 50 की गई हैं।
इससे लंबे समय से प्रदेशभर में गुणात्मक स्वास्थ्य देखभाल सेवायें प्रदान करने पर प्रभाव पड़ रहा है और आधुनिक मशीनों तथा अन्य उपकरणों के उपयोग के लिए प्रशिक्षित श्रम शक्ति की आवश्यकता है। इस निर्णय से प्रदेश के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
प्रदेश सरकार लोगों को विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने को प्राथमिकता दे रही है। मुख्यमंत्री राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को एम्स दिल्ली के समान विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करने वाली व्यवस्था बनाने के ध्येय से कार्य कर रहे हैं।
सरकारी क्षेत्र में पैरामेडिकल स्टाफ की सीटें बहुत कम हैं। प्रदेश सरकार ने आईजीएमसी व टीएमसी में ये सीटें को बढ़ाने का निर्णय लिया है। इससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त हो सकेगा, जिससे उन्हें राज्य के बाहर स्थित संस्थानों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अतिरिक्त नर्सिंग और पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए प्रशिक्षण के अवसर भी बढ़ाए जा रहे हैं।
-एमसुधा देवी, सचिव स्वास्थ्य विभाग।
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